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    बांग्लादेश को भारत ने दिया झटका, कॉटन के बाद अब जूट के आयात पर लगाई ये कठिन शर्त; अब क्या करेंगे यूनुस?

    भारत ने Bangladesh से आयात होने वाले जूट पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब सिर्फ समुद्र मार्ग वो भी महाराष्ट्र के न्हावा शेवा बंदरगाह के जरिए ही बांग्लादेश का जूट (Jute Imports) भारत पहुंच सकता है। अन्य सभी मार्ग ढाका के जूट के लिए प्रतिबंधित हैं। भारत ने घरेलू जूट उद्योग के संरक्षण के लिए यह कदम उठाया है।

    By Gyanendra Tiwari Edited By: Gyanendra Tiwari Updated: Sun, 29 Jun 2025 12:42 PM (IST)
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    चीन के दोस्त बांग्लादेश को भारत ने दिया झटका

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने बांग्लादेश को बड़ा झटका देते हुए सड़क मार्ग के जरिए जूट के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह बैन तत्काल प्रभाव से लगाया गया है। अब सिर्फ समुद्र मार्ग के जरिए वो भी महाराष्ट्र के न्हावा शेवा बंदरगाह के माध्यम से बांग्लादेश में बना जूट भारत तक पहुंच पाएगा।

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    भारत ने यह कदम अनुचित व्यापार प्रथाओं पर लगाम लगाना और भारत के घरेलू जूट उद्योग को संरक्षण प्रदान करने के लिए उठाया है। बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार के लिए यह बड़ा झटका है। वह चीन से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। चीन में जाकर भारत विरोधी बातें करते हैं।

    भारत के इस कदम से उन्हें इस बात इल्म होगा कि आखिर निकट पड़ोसी से संबंध बिगड़ने का क्या नुकसान हो सकता है। हालांकि, भारत ने घरेलू जूट उद्योग को संरक्षण प्रदान करने के लिए यह कदम उठाया है।

    भारत ने बांग्लादेश से जूट आयात पर क्यों लगी रोक?

    केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले वाणिज्य मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने शुक्रवार देर रात आदेश जारी कर सड़क मार्ग के जरिए बांग्लादेश से आने वाले जूट पर प्रतिबंध लगा दिया। अब सिर्फ समंदर के रास्ते वो भी महाराष्ट्र के न्हावा शेवा बंदरगाह के जरिए ही बांग्लादेश का जूट भारत पहुंच पाएगा।

    • वाणिज्य मंत्रालय के इस फैसले के तहत देश के सभी स्थल और समुद्री बंदरगाहों पर बांग्लादेशी जूट उत्पादों के आयात पर भी रोक लगा दी गई है।
    • भारत का कहना है कि बांग्लादेश से सस्ते और सब्सिडी वाले जूट उत्पादों, जैसे धागा, फाइबर और बैग, के आयात से भारतीय जूट उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसलिए यह कदम उठाया गया है ताकि भारत के जूट उद्योग को फायदा मिल सके।

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    वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, "बांग्लादेशी निर्यातकों द्वारा अनुचित व्यापार प्रथाओं और बांग्लादेश सरकार के साथ मिलीभगत के कारण भारतीय जूट उद्योग को भारी नुकसान हो रहा है। इसे बचाने के लिए हमने यह कदम उठाया है। बांग्लादेश से अब जूट और जूट उत्पादों का भारत में आयात सिर्फ न्हावा शेवा बंदरगाह से ही हो सकेगा।"

    बांग्लादेश कर रहा था चापलूसी

    भारत ने बांग्लादेशी निर्यातकों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा रखी है। इसके बावजूद ढाका के जूट व्यापारी तकनीकी छूट, गलत लेबलिंग, ड्यूटी फ्री कंपनियों के जरिए निर्यात और अधिक सब्सिडी हासिल करने के लिए गलत तरीकों को अपनाकर निर्यात कर रहे थे। अब गलत घोषणाओं और धोखाधड़ी वाले लेबलिंग को रोकने के लिए भारत ने यह कदम उठाया है। इस कदम से लंबे समय से चली आ रही अनुचित प्रथाओं को खत्म करने में मदद मिलेगी।

    दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव

    बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से ही भारत के साथ उसके रिश्तों में खटास आई है। मोहम्मद यूनुस का भारत के प्रति झुकाव कम है। वह चीन समर्थित है। चीन में जाकर भारत विरोधी बातें करके वह खुद को बड़ा बताने का प्रयास कर रहे हैं। यही सब कारण है कि भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक तनाव भी बढ़ गया है।

    जूट के निर्यात पर बैन लगाने से पहले भारत ने बांग्लादेश को तीसरे देशों में निर्यात के लिए भारतीय स्थल सीमा शुल्क स्टेशनों और बंदरगाहों के उपयोग की सुविधा को भी खत्म कर दिया था। यानी भारत की जमीन या फिर जल मार्ग का इस्तेमाल करके बांग्लादेश जो भी निर्यात करता था, उस पर पाबंदी लग चुकी है।

    • भारत ने पिछले साल बांग्लादेश से 660 मिलियन डॉलर के कपड़ों का आयात किया था। इनमें एचएंडएम और ज़ारा जैसे बड़े ब्रांड शामिल थे।
    • ये ब्रांड बांग्लादेश में उत्पादन कर दुनिया भर में कपड़ों को निर्यात करते हैं। इनमें से अधिकतर उत्पाद भारतीय मॉल्स में भी पहुंचते हैं।

    मोहम्मद यूनुस के सामने बड़ी चुनौती

    बांग्लादेश अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के लिए भारत का यह कदम किसी बड़े झटके से कम नहीं है। चीन से बढ़ती उनकी नजदीकियां भारत से उनके व्यापारिक संबंधों पर असर डाल रही है। भारत के खिलाफ उनका रवैया उन्हें को नुकसान पहुंचा रहा है।

    • हिंदुस्तान के इस कदम से ढाका के जूट और अन्य निर्यात उद्योगों पर दबाव बढ़ेगा।
    • अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को यह तय करना होगा कि वह भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को कैसे संतुलित करते हैं।