जीएसटीः कंपोजिट सप्लाई और मिक्स्ड सप्लाई पर टैक्स के नियम
जानिए जीएसटी के तहत कंपोजिट सप्लाई और मिक्स्ड सप्लाई के बारे में ...और पढ़ें

नई दिल्ली (मनोज पी गुप्ता)। जीएसटी लागू होने के साथ ही नए कांसेप्ट भी आएंगे। सही टैक्स निष्पादन के लिए उन्हें जानना जरूरी है। इसी क्रम में आज हम कंपोजिट सप्लाई और मिक्स्ड सप्लाई के बारे में जानते हैं।
कंपोजिट सप्लाई: कंपोजिट सप्लाई का अर्थ है कि एक वस्तु की बिक्री के साथ अन्य वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री इस तरह की जाए कि मुख्य वस्तु के साथ अन्य वस्तुओं और सेवाओं का विक्रय स्वभाविक रुप से जुड़ा हुआ हो। जैसे कोई फर्नीचर व्यापारी फर्नीचर बेचने के बाद उसे एक जगह से दूसरी जगह बेचे और ऐसा करते वक्त वह मुख्य वस्तु के साथ पैकिंग मटेरियल भी बेचे। इंश्योरेंस और ट्रांसपोर्ट करने की सेवा भी दे तब भी इसे फर्नीचर की ही बिक्री माना जाएगा न कि पैकिंग मटेरियल या इंश्योरेंस और ट्रांसपोर्ट की सेवाएं। कंपोजिट सप्लाई को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि जीएसटी में टैक्स लगाते समय मुख्य रूप से बेची जा रही वस्तु की टैक्स दर ही कुल सप्लाई पर लगाई जाएगी। मतलब इस उदाहरण में फर्नीचर पर लगने वाले टैक्स की दर ही कुल मूल्य पर लगाई जाएगी।
मिक्स्ड सप्लाई: मिक्स्ड सप्लाई का मतलब है 2 या उससे अधिक वस्तुओं और सेवाओं की एक निश्चित कीमत पर बिक्री, जबकि ऐसी वस्तुएं अलग-अलग भी बेची जा सकती हों। उदाहरण के लिए कोई व्यापारी 5 लाख रुपए की कुल रकम लेकर फर्नीचर के साथ कारपेट, वाल पेपर, पर्दे और अन्य साज-सज्जा के सामान भी बेचे तो ऐसी सप्लाई मिक्स्ड सप्लाई कहलाएगी क्योंकि बेची जा रही वस्तुएं अलग-अगल भी बेची जा सकती थीं। जीएसटी में टैक्स की दर तय करने के लिए जिस वस्तु पर अधिकतम टैक्स होगा, मिक्स्ड सप्लाई पर वहीं दर आरोपित की जाएगी।
इस लेख के लेखक सीए मनोज पी गुप्ता हैं।

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