JRD Tata: जब बिजनेस छोड़ राजनीति में आने वाले थे जेआरडी टाटा, नेहरू से थे प्रभावित; जानें फिर क्यों बदला फैसला
आज टाटा ग्रुप के सबसे लंबे समय तक चेयरमैन रहने वाले JRD Tata की जन्म जयंती है। उनकी 121वीं जयंती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। उन्होंने भारत के लिए बहुत कुछ किया। एक समय था जब जेआरडी टाटा बिजनेस छोड़कर राजनीति में आना चाहते थे। लेकिन फिर बाद में उन्होंने इस फैसले को टाल दिया।

नई दिल्ली। जेआरडी टाटा। ऐसा नाम जो भारतीय इंडस्ट्री के इतिहास में अमर है। शायद ही इस नाम से कोई परिचित न हो। भारत को तरक्की की राह पर लाने वाला नाम। हिंदुस्तान की पहली हवाई जहाज बनाने वाला नाम। और न जाने क्या-क्या। इस नाम ने देश को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी न्योछावर कर दी थी। ये वही नाम है जिसने टाटा ग्रुप को इतना आगे ले जाने का काम किया।
जेआरडी टाटा के पदचिन्हों पर चलकर टाटा ग्रुप को आगे ले जाने का काम रतन टाटा ने किया। वैसे तो जेआरडी टाटा को हमेशा याद किया जाता है। लेकिन आज विशेष तौर पर उन्हें इसलिए याद किया जा रहा है क्योंकि आज उनकी 121 जन्म जयंती है।
जेआरडी टाटा का जन्म 29 जुलाई 1904 में फ्रांस में एक भारतीय पारसी और प्रसिद्ध व्यवसायी रतनजी दादाभाई टाटा और उनकी पत्नी सुजैन ब्रियर के घर हुआ था। जेआरडी टाटा का पूरा नाम जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा था। वह अपने भाई बहनों में दूसरे नंबर पर थे।
JRD टाटा भारत की स्वतंत्रता में योगदान देने वाले राजनेताओं से बहुत ही प्रभावित थे। वह इतना प्रभावित थे कि राजनीति में आने की सोच चुके थे। लेकिन फिर ऐसा कुछ हुआ कि उन्होंने राजनीति में कदम नहीं रखा। आइए आज उनकी जन्म जयंती पर इस उनका राजनीति में न आने वाला किस्सा जानते हैं जो उन्होंने दूरदर्शन को दिए इंटरव्यू में बताया था। उनका यह इंटरव्यू राजीव मल्होत्रा ने लिया था।
जब राजनीति में आना चाहते थे JRD TATA
एक समय था जब जेआरडी टाटा राजनीति में आना चाहते थे। इसका खुलासा उन्होंने दुरदर्शन को दिए इंटरव्यू में किया था। राजीव मल्होत्रा ने जेआरडी टाटा से पूछा कि आपने अपना करियर तब शुरू किया जब भारत स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था। क्या आपने स्वतंत्रता में सक्रिय रूप से भाग लेने की प्रेरणा महसूस की?
जेआरडी टाटा ने जवाब देते हुए कहा था, "एक समय मैं सोच रहा था कि मुझे बिजनेसमैन बनने का विचार छोड़कर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर लेनी चाहिए। मैं जवाहर लाल नेहरू से बहुत प्रभावित था। मेरे मन में उनके लिए बहुत ही प्यार और इज्जत थी। लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि मैं इस विचार के साथ ज्यादा दूर तक नहीं जा पाऊंगा।"
उन्होंने आगे कहा कहा था, "मुझे वास्तव में एहसास हुआ कि इसका मतलब होगा कि मैं खुद को गिरफ्तार करवाऊंगा, जेल जाऊंगा। मुझे लगा कि मैं राजनीति में रहकर ना ही देश के लिए और ना ही पार्टी के लिए कुछ कर पाऊंगा।"
फ्रांस से पिता के बुलावे पर भारत लौटे JRD TATA
जेआरडी टाटा फ्रांस में पढ़ रहे थे। साल 1925 में वह 21 साल के हो चुके थे। इसी समय उनके पिता रतनजी दादाभाई टाटा ने उन्हें फ्रांस से भारत बुलाया। जेआरडी कैम्ब्रिज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करना चाहते थे। लेकिन पिता के बुलावे पर उन्हें भारत आना पड़ा। भारत आने के बाद अनौपचारिक रूप से जेआरडी टाटा टिस्को (अब टाटा स्टील) में बतौर इंटर्न काम करने लगे।
जेआरडी टाटा के बिजनेस गुरु स्कॉटिश मूल के जॉन पीटरसन थे, जो भारतीय सिविल सेवा में सेवा देने के बाद समूह में शामिल हुए थे। पिता के निधन के तुरंत बाद, 22 वर्ष की आयु में जेआरडी TATA GROUP की प्रमुख कंपनी टाटा संस के बोर्ड में शामिल हो गए।
अभी तक जेआरडी टाटा के पास फ्रांस की नागरिकता थी। लेकिन 1929 में 25 साल की उम्र में उन्होंने फ्रांसीसी नागरिकता त्याग कर भारत की नागरिकता अपनाई, जो आगे चलकर उनके जीवन का केंद्र बिंदु बन गया।
भारत के पहले कमर्शियल पायलट थे जेआरडी टाटा
जेआरडी टाटा भारत के पहले कमर्शियल पायलट थे, जिन्हें 1929 में लाइसेंस मिला। इसके एक साल बाद उनके दिमाग में हवाई डाक सेवा शुरू करने का विचार आया। और इसी सोच के साथ टाटा एयरलाइंस की नींव पड़ी।
1932 में टाटा एविशन सर्विस ने अपनी पहली उड़ान भरी। भारतीय विमानन इतिहास की पहली उड़ान कराची के ड्रिघ रोड से जेआरडी के नियंत्रण में एक पुस मॉथ के साथ शुरू हुई।
साल 1953 तक JRD ने इस विमानन कंपनी को बुलंदियों पर पहुंचा दिया था। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया। यह एक ऐसा फैसला था जिसके खिलाफ जेआरडी ने पूरे दिल से लड़ाई लड़ी थी।
हालांकि, नेहरू ने उनसे कहा कि वह एयर इंडिया के प्रमुख बने रहे। टाटा ने यही किया। लेकिन 1977 में मोरारजी देसाई की सरकार ने उन्हें एयर इंडिया के अध्यक्ष पद से हटा दिया। हालांकि, इंदिरा गांधी की वापसी होने पर जेआरडी टाटा फिर से एयर इंडिया के अध्यक्ष बनाए गए।
टाटा ग्रुप के सबसे लंबे समय तक चेयरमैन थे जेआरडी टाटा
जेआरडी टाटा ने 1938 में सर नौरोजी से टाटा समूह के अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण किया। वह टाटा संस बोर्ड के सबसे युवा सदस्य थे। जेआरडी टाटा ने 1938 से 1991 तक 50 वर्षों तक टाटा समूह का नेतृत्व किया। वह टाटा ग्रुप के सबसे लंबे समय तक चेयरमैन रहने वाले व्यक्ति थे।
जेआरडी टाटा की नहीं थी कोई संतान
जेआरडी टाटा ने 1930 में पेरिस में थेल्मा से शादी की थी। हालांकि, उनकी कोई संतान नहीं थी। लेकिन जेआरडी हमेशा बच्चों के साथ सबसे ज्यादा सहज दिखाई देते थे।
29 नवंबर, 1993 को जेआरडी टाटा ने दुनिया को अलविदा कहा था। उन्होंने जाने से पहले टाटा ग्रुप को बढ़ाने के साथ भारत को तरक्की की राह पर लाने का काम किया था। जागरण बिजनेस उनके अभूतपूर्ण योगदान के लिए उनके जन्म जयंती पर उन्हें याद करता है और उनके कार्यों को सलाम करता है।
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