तब जापान की मदद से देश में दौड़ी थी कार, अब जापान में दौड़ेगी भारतीय कार
यह घटनाक्रम इस बात का प्रत्यक्ष गवाह है कि भारत का वक्त बदल रहा है। 32 साल में क्या कुछ हो गया। दिसंबर 1983 में जापानी कंपनी सुजुकी ने भारतीय कंपनी मारुति से करार किया था और जापान की तकनीकी महारत के चलते भारत की सड़क पर हली कार दौड़
नई दिल्ली। यह घटनाक्रम इस बात का प्रत्यक्ष गवाह है कि भारत का वक्त बदल रहा है। 32 साल में क्या कुछ हो गया। दिसंबर 1983 में जापानी कंपनी सुजुकी ने भारतीय कंपनी मारुति से करार किया था और जापान की तकनीकी महारत के चलते भारत की सड़क पर हली कार दौड़ पाई थी। अब दिसंबर 2015 में, सुजुकी कंपनी भारत से कारें मंगाना चाहती है।
जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान इस पर करार हुआ है। शुरुआत साल की 30 हजार कारों से की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इसका ऐलान किया।
समझौते से जुड़ी प्रमुख बातें
- पहली बार जापान भारत से कारों का आयात करेगा और मारुति इसे बनाएगी। मारुति (सुजुकी) यहां विनिर्माण करेगी, जापानी कंपनी यहां बनाएगी और जापान को निर्यात करेगी।
- मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव के मुताबिक, कंपनी फिलहाल बलेनो का निर्यात करेगी।
- बकौल भार्गव, हमें साल भर में 20,000 से 30,000 कारों के निर्यात की उम्मीद है। जापान को वाहन निर्यात करना आसान नहीं है।
- उम्मीद की जा रही है कि जापानी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी जनवरी 2016 से भारत में बनी कार, बलेनो का निर्यात शुरू करेगी।