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    Jagran New Media की नई पहल Khojle.com, CEO भरत गुप्‍ता ने दिया कामयाबी का मंत्र

    Updated: Wed, 08 May 2024 08:25 PM (IST)

    जागरण न्यू मीडिया ने ONDC नेटवर्क के साथ मिलकर ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म Khojle.com लॉन्च किया है। इस मौके पर जागरण न्यू मीडिया के सीईओ भरत गुप्ता ONDC नेटवर्क के एमडी और सीईओ टी कोशी और एंजेल इंवेस्टर और बिजनेस स्ट्रैटेजिस्ट लॉयड मथायस ने देश में ई-कॉर्मस के भविष्य पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान भरत गुप्ता ने ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म को लेकर अपने विचार रखे।

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    जागरण न्यू मीडिया ने लॉन्च किया ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म Khojle.com

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। जागरण प्रकाशन लिमिटेड की डिजिटल विंग जागरण न्यू मीडिया ने ONDC नेटवर्क के साथ मिलकर ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म Khojle.com शुरू किया है। यह वन-स्टॉप मार्केटप्लेस देश के मौजूदा ई-कॉमर्स लैंडस्केप को पूरी तरह से बदल देगा।

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    इस प्लेटफॉर्म के लॉन्च के मौके पर जागरण न्यू मीडिया के सीईओ भरत गुप्ता, ONDC नेटवर्क के एमडी और सीईओ टी कोशी और एंजेल इंवेस्टर और बिजनेस स्ट्रैटेजिस्ट लॉयड मथायस ने एक परिचर्चा में ई-कॉमर्स के भविष्य को लेकर चर्चा की है। यहां हम आपके साथ इस चर्चा की मुख्य बातें बता रहे हैं।

    DPI ने खोली नई दुनिया

    चर्चा की शुरुआत करते हुए लॉयड मथायस कहते हैं कि अगर पिछले कुछ दशकों पर नजर डालें तो मुझे लगता है कि डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रैक्चर (DPI) पर उल्लेखनीय काम हुआ है। इसके साथ ही यूपीआई पेमेंट के साथ इसने वास्तव में हम सब दुनिया बदल कर रख दी है। वे कहते हैं कि आज सफल स्टार्टअप और शेयर बाजार में उछाल में DPI का अहम योगदान है। हालांकि, अभी भी हम इसकी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाएंगे।

    इसके साथ ही वे 2016 में टेलीकॉम सेक्टर में जियो की एंट्री को भी भारत के डिजिटल इकोसिस्टम के लिए जरूरी बताते हैं। वे कहते हैं कि इसी की वजह से देश के स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या 700 बिलियन से ज्यादा हो गई। वे ई-कॉम पर बात शुरू करते हुए कहते हैं कि इसकी पहुंच अब भी एक छोटे हिस्से तक ही सीमित है। चर्चा में टी कोशी को शामिल करते हुए वह उनसे पूछते हैं कि अगले दो से तीन सालों में क्या बदलाव देखते हैं।

    यूपीआई की तरह सफल होगा ओएनडीसी

    ओएनडीसी के एमडी जवाब में बताते हैं कि हमें एक ऐसा नेटवर्क बनाने की जरूरत है जो हर कोने तक डिलीवरी कर सकता है। इसकी कीमत ऐसी होनी चाहिए कि हम विक्रेता और ग्राहक दोनों को संतुष्ट कर पाएं। ओएनडीसी के शुरुआती छह महीने का जिक्र करते हुए वह बताते हैं कि पहले छह महीने में हमारे नेटवर्क में 500 व्यापारी थी। तब हमने 1200 ट्रांसजैक्शन किए थे। अब करीब एक साल तीन महीने में हमारे नेटवर्क में 4.5 लाख व्यापारी है और 7.6 मिलियन लेनदेन किए हैं।

    इनमें से आधे से ज्यादा व्यापारी छोटे टैक्सी चालक और ऑटो चालक हैं। यह सबसे दिलचस्प है कि हमें टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। यूपीआई का जिक्र करते हुए वह कहते हैं कि ओएनडीसी की ग्रोथ यूपीआई की तरह होगी। वह आगे कहते हैं कि आज यूपीआई इतना आम हो गया है कि भिखारी भी इससे टिप ले सकता है। यह रातों-रात नहीं हुआ।

    MSME's को टेक्नोलॉजी से जोड़ने की जरूरत

    लॉयड मथायस कहते हैं कि ओएनडीसी से ई-कॉमर्स की पहुंच देश के कोने-कोने तक होगी और यह लोकतांत्रिक बनेगा। संभव है दुनिया के अन्य देश भी इससे काफी कुछ सीख पाएंगे। बड़ी जनसंख्या को टेक्नोलॉजी से कैसे जोड़ा जा सकता है इस मामले में भारत विश्व गुरु है। पिछले कुछ दशकों में हमने जो कुछ हासिल किया है उसकी बानगी यही है। देश में स्टार्टअप की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब हमें सूक्ष्म और लघु मध्यम उद्योगों को टेक्नोलॉजी से जोड़ने की जरूरत है। इसमें ओएनडीसी की बड़ी भूमिका होगी।

    लॉयड इस चर्चा में जागरण न्यू मीडिया के सीईओ भरत गुप्ता को जोड़ते हुए कहते हैंकि देश में डिजिटल साक्षरता तेजी से बढ़ रही है। इंटरनेट और स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या बढ़ी है। इसके साथ ही सोशल मीडिया के यूजर्स में भी भारतीयों की संख्या बड़ी है। जागरण देश के प्रमुख अखबारों में शामिल है, जो हिंदी हार्टलैंड में गहरी पैठ रखता है।

    तेजी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था

    लॉयड मथायस की बात को आगे बढ़ाते हुए भरत गुप्ता कहते हैं, हम अपनी प्रिंट और डिजिटल की सामूहिक ताकत का इस्तेमाल कर 60 मिलियन प्रिंट पाठकों और 100 मिलियन यूजर्स को ई-कॉमर्स से जोड़ने का प्रयास कर सकते हैं। हम अपने नेटवर्क का यूज कर एमएसएमई को सक्षम और सशक्त बनाने के लिए कर सकते हैं। ओएनडीसी जैसे मंच का उपयोग कर हम देश के हर कोने तक ऑनलाइन शॉपिंग को पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही एमएसएमई को बढ़ा सकते हैं।

    ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते ट्रेंड का जिक्र करते हुए वह आगे कहते हैं कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और लोग उपभोक्तावाद से प्रेरित हो रहे हैं, इसलिए लोग खरीदारी कर रहे हैं, सवाल यह है कि क्या वे हैं? विज्ञापनों को देखकर खरीदारी किसी प्लेटफॉर्म पर खरीदारी कर रहे हैं और मुझे लगता है कि इस पहल के माध्यम से हमारे पास यह विश्वास करने का एक कारण है। यदि इसे सही तरीके से करते हैं तो आप इसमें सफल हो सकते हैं।

    छोटे शहरों के विक्रेताओं को करेंगे जागरुक

    भरत गुप्ता आगे कहते हैं कि हमारा पहला कदम यह होगा कि पूरे हिंदी हार्टलैंड शहरों में प्रचार करेंगे। हमारी टीम विक्रेताओं से मिलेगी। इसके साथ ही हम जागरुकता प्रोग्राम भी चलाएंगे और छोटे शहरों के विक्रेता को ई-कॉम प्लेटफॉर्म तक लाने के बारे में शिक्षित करेंगे। ऐसा नहीं है कि ये मॉड्यूल सिर्फ उन्हें 'ज्ञान' देने के लिए तैयार किए जाएंगे बल्कि उनकी मदद करने पर फोकस करेंगे।

    इसके बाद एक हम डिजिटल मार्केटिंग को बढ़ावा देने के लिए अपने भौतिक और डिजिटल मंच हैं। वे उदाहरण देते हुए कहते हैं कि यदि हम किसी क्रिएटिव को अपने प्रिंट में पब्लिश करते हैं तो उसमें क्यूआर कोड देना शुरू कर सकते हैं। यूजर्स आसानी से क्यूआर कोड स्कैन कर हमारे हमारे प्लेटफॉर्म तक पहुंच सकता है। हम टेक्नोलॉजी के साथ विक्रेताओं के लिए ट्रांसजैक्शन को सफल करने के लिए स्मार्ट तरीके से काम कर रहे हैं।

    भरत गुप्ता बताते हैं कि आज ई-कॉमर्स का 60% लेनदेन टियर 2 और थ्री शहरों में हो रहा है। ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि ऑनलाइन शॉपिंग के लिए यूजर्स तैयार हैं। हमें विक्रेताओं को इससे जोड़ना है। इसके साथ ही हमें विक्रेताओं को क्रिएटिव और कंटेंट साथ-साथ मार्केटिंग सॉल्यूशन प्रदान करने हैं। ये चीजें ऑनलाइन शॉपिंग को पूरी तरह बदलने की क्षमता रखते हैं।

     

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