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    Jagran Explainer: कार्ड टोकेनाइजेशन को कितना समझते हैं आप, शुरू होने से पहले जान लें ये जरूरी बातें

    Card Tokenization ऑनलाइन लेन-देन को सुरक्षित बनाने के लिए लाया गया है। इसकी घोषणा आरबीआइ द्वारा की गई है। ऑनलाइन खरीदारी करते समय उपभोक्ता की वित्तीय जानकारी सुरक्षित रहे यही इसका उद्देश्य है। यहां इससे जुड़े सभी पहलुओं की जानकारी दी जा रही है।

    By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Thu, 29 Sep 2022 08:16 PM (IST)
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    Jagran Explainer : How much you understand card tokenization system

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) ने खरीदारी के तौर-तरीकों में क्रांति ला दी है। जिंदगी की भागदौड़ को देखें तो एक तरह से यह सही भी है ! जरूरत की हर चीज आपके दरवाजे तक पहुंच रही है। इस सुविधा के चलते ऑनलाइन शॉपिंग, खरीदारी का पसंदीदा विकल्प बन गई है।

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    ऑनलाइन शॉपिंग के लिए भुगतान करना भी बहुत आसान है। नेट बैंकिंग, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, यूपीआई जैसे विकल्पों ने लेन-देन को बहुत सुगम बना दिया है। हालांकि ऑनलाइन खरीदारी में जबरदस्त उछाल के कारण डाटा सुरक्षा उल्लंघन के मामलों में भी वृद्धि हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साइबर सुरक्षा जोखिम से निपटने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई उपाय किए हैं।

    कार्ड टोकेनाइजेशन (Card Tokenization) ग्राहकों को फर्जीवाड़े से बचाने का सबसे नया उपाय है। इसे ऑनलाइन शॉपिंग करते समय या इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट करते समय उपभोक्ता की वित्तीय जानकारी की सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है।

    टोकेनाइजेशन की जरूरत क्यों है?

    जब भी आप किसी ई-कॉमर्स ऐप या वेबसाइट पर खरीदारी करते हैं, तो आपसे क्रेडिट/डेबिट कार्ड के विवरण जैसे कार्ड नंबर, कार्ड की समाप्ति तिथि आदि को सेव करने की अनुमति मांगी जाती है, ताकि आप भविष्य में जब भी शॉपिंग करें तो आपको ये जानकारियां दोबारा न देनी पड़ें और आपका लेन-देन तेजी से हो सके। सरसरी तौर पर यह बहुत सुविधाजनक लगता है, लेकिन इसमें सुरक्षा संबंधी जोखिम भी हैं।

    सेव किए गए डाटा की मदद से अनधिकृत लेन-देन या फर्जीवाड़े का खतरा बहुत ज्यादा होता है। संग्रहित डाटा कभी भी लीक या हैक हो सकता है। कई बार ऐसा हो भी चुका है। जालसाजों की कारस्तानियों के चलते करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। कार्ड टोकेनाइजेशन का मकसद इस खतरे को शून्य करना है।

    मार्च 2020 में पहली बार आरबीआइ द्वारा कार्ड टोकेनाइजेशन का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन बाद में लेन-देन का संचालन करने वाले सर्विस प्रोवाइडर्स की तरफ से इस समय सीमा को बढ़ाने की अपील की गई थी। उसके बाद इसे 30 सितंबर, 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

    टोकेनाइजेशन क्या है?

    टोकेनाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आपके क्रेडिट या डेबिट कार्ड की डिटेल को एन्क्रिप्टेड कोड में बदल दिया जाएगा। इसे ही टोकन के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक टोकन, कार्ड को जारी करने वाले बैंक, उपयोगकर्ता और डिवाइस का एक अनूठा संयोजन है। व्यापारी और पेमेंट कंपनियां इन टोकन का उपयोग ही लेन-देन के लिए करेंगी और उनको किसी भी हालात में ग्राहक की जानकारियां सहेजने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    कब लागू होगी यह व्यवस्था

    1 अक्टूबर, 2022 से ग्राहकों को ऑनलाइन खरीदारी करते समय अपने कार्डों को टोकन करने के लिए कहा जाएगा। कार्ड डिटेल को कोड में बदला जाएगा, इसे ही टोकन कहा गया है। यह हर ट्रांजैक्‍शन के लिए अलग होगा।

    क्या यह अनिवार्य है?

    नहीं, यह अनिवार्य नहीं है। एक ग्राहक के रूप में आप यह चुन सकते हैं कि आपके कार्ड का टोकेनाइजेशन किया जाए या नहीं। आपके पास इन-ऐप या क्यूआर कोड-आधारित भुगतान के लिए अपने कार्ड को रजिस्टर या डिरजिस्टर करने का विकल्प भी होगा।

    आप पर क्या असर होगा?

    1 अक्टूबर, 2022 से टोकनाइजेशन उन लेन-देन भी पर लागू हो जाएगा जो ऑटो-डेबिट या स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन के माध्यम से किए जा रहे हैं। ई-कॉमर्स व्यापारियों को ऐसे सभी डाटा को हटाने का निर्देश दिया गया है। जिसका मतलब यह है कि प्रत्येक नए लेन-देन के लिए ग्राहकों को पेमेंट डिटेल फिर से दर्ज करनी होगी।

    कोई समस्या हुई तो समाधान कौन करेगा?

    टोकन से संबंधित शिकायतों को कार्ड जारीकर्ता द्वारा दूर किया जाएगा। अगर टोकन के अनधिकृत उपयोग की शिकायत करनी हो तो भी कार्ड जारी करने वाले बैंक या वित्तीय संस्था के पास किया जाएगा।

    ऑनलाइन लेनदेन के लिए डेटा सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में टोकनाइजेशन एक अच्छा कदम है। यदि आप बार-बार ऑनलाइन खरीदारी करते हैं, तो अपने कार्ड का टोकेनाइजेशन एक सुरक्षित विकल्प है।