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    Income Tax विभाग कैसे ट्रैक करता है आपके सारे लेनदेन? जानकर आप भी पकड़ लेंगे माथा

    इनकम टैक्स हमारी हर एक तरह की आय पर नजर रखता है। अगर आईटीआर में हम कुछ गड़बड़ करते हैं तो हमें इनकम टैक्स का नोटिस मिल सकता है। इन सबसे बचने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं आइए Partner Tax Connect Advisory Services LLP के विवेक जलान से जानते हैं। 

    By Gyanendra Tiwari Edited By: Gyanendra Tiwari Updated: Sat, 21 Jun 2025 01:26 PM (IST)
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    नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार भारत के 6.68 फीसदी लोगों ने इनकम टैक्स (Income Tax) भरा था। ये नंबर बहुत ही कम है। एक बड़ी आबादी इनकम टैक्स से दूर रहती है। जो लोग इनकम टैक्स नहीं भरते उन्हें लगता है कि हम इससे बच गए हैं। लेकिन वो यह भूल जाते हैं कि हमारी हर एक इनकम पर सरकारी की पैनी नजर आए हैं। इनकम टैक्स हमारे हर एक लेन देन पर पैनी नजर रखता है। और वह इसी डाटा के आधार पर आपके खिलाफ जांच कर सकता है और दोषी पाए जाने पर आपको मोटी जुर्माना भी देना पड़ सकता है। ऐसा न हो इसके लिए आपको इनकम टैक्स भरना जरूरी है। अब आपके मन में एक सवाल उठा होगा कि आखिर कैसे आयकर विभाग हमारी कमाई को ट्रैक करता है? इसका सवाल जानने के लिए जागरण की बिजनेस टीम Partner Tax Connect Advisory Services LLP के विवेक जलान के पास पहुंची। उन्हें हमें स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस बताया कि आखिर कैसे इनकम टैक्स विभाग हमारी इनकमट को ट्रैक करता है।

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    बैंक देता है Income Tax विभाग को जानकारी

    विवेक जलान ने बताया कि आपके वित्तीय लेन-देन की जानकारी का मुख्य स्त्रोत बैंक है। बैंकों के जरिए आयकर विभाग आपकी कमाई और आपके खर्चों पर पैनी नजर रखता है। सभी बैंकों को कुछ जरूरी और खास लेनदेन की जानकारी इनकम टैक्स विभाग को देनी अनिवार्य है। जैसे-

    • अगर आपके सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये से अधिक का कैश जमा करते हैं तो बैंक इसकी जानकारी इनकम टैक्स को देता है।
    • करंट अकाउंट से  50 लाख रुपये से अधिक की नकद जमा या निकासी करने पर बैंक इनकम टैक्स को इसकी जानकारी देता है।
    • 10 लाख से अधिक की FD या फिर RD अगर आप कैश देकर कराते हैं तो बैंक इसकी जानकारी इनकम टैक्स विभाग को देता है।

    कैश देकर 2 लाख से अधिक का सामान खरीदने पर देनी होती है जानकारी?

    विवेक जलान ने बताया कि जो व्यक्ति टैक्स के दायरे में आता है और वह किसी भी प्रकार की वस्तु या सेवा की बिक्री के लिए भुगतान के रूप में 2 लाख रुपये से अधिक की कैश देता या लेता है तो उसे इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी होती है।

     
    विवेक जलान ने आगे बताया- ये सभी जानकारी प्राप्त करने के बाद आयकर विभाग जांच करता है कि आपके द्वारा किया गया लेन-देन आपकी इनकम के अनुरूप है की नही। अगर इसमें कुछ हेरफेर पाई जाती है तो इनकम टैक्स संबंधित व्यक्ति या संस्था को इसकी नोटिस भेजता है और जवाब मांगता है।

    इसे उदाहरण से समझें तो मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति अपने करंट अकाउंट से 1 करोड़ रुपये से अधिक निकालता है, लेकिन उसका बिजनेस घाटे में चल रहा है और वह नियम के अनुसार टैक्स नहीं दे रहा है तो उसे कंप्यूटर असिस्टेड स्क्रूटनी सिलेक्शन (CASS) के तहत नोटिस भेजा जा सकता है।

    ITR को सटकी भरने और इनकम टैक्स के नोटिस से कैसे बचें?

    विवेक जलान ने आईटीआर को सही से भरने का तरीका और इनकम टैक्स की नोटिस से बचने के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट में आपके हर एक फाइनेंसियल एक्टिविटी जैसे बड़े ट्रांजैक्शन, प्रॉपर्टी खरीद और इन्वेस्टमेंट की जानकारी होती है। अगर आपके भरे गए ITR में दी गई जानकारी AIS से मैच नहीं करती तो आपके खिलाफ इनकम टैक्स कार्रवाई कर सकता है। आयकर विभाग जुर्माना, बकाया टैक्स पर ब्याज लगा सकता है और आपके खिलाफ कानूनी जांच करा सकता है।

    इसे सही तरीके से भरने के लिए कुछ आसान नियम हैं-

    1. ITR भरने से पहले AIS और फॉर्म 23AS को सही से चेक करें।  दोनों का मिलान करें।  अगर दोनों में कोई अंतर हो, तो उसे सही करें।  

    2. आपने सभी इनकम सोर्स को बताएं। ऐसे इनकम सोर्स को जरूर बताएं जो फॉर्म 26AS में नहीं दिखतीं। कई करदाता केवल TDS वाली आय ही दिखाते हैं और बाकी अन्य जगहों से कमाई गई इनकम के बारे में जानकारी नहीं देते।
    3. अपनी बैंक स्टेटमेंट, किराए की रसीदें, लीज एग्रीमेंट, निवेश रिकॉर्ड, और लोन के पेपर सभी को सही तरीके से सुरक्षित और तैयार रखें। जरूरत पड़ने पर इन्हें दिखाना पड़ा सकता है।

    इन आसान नियमों का पालन करके आप अपने ITR को सटीक रख सकते हैं और इनकम टैक्स की जांच से बच सकते हैं।