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    खाद्य वस्तुओं की महंगाई को देखते हुए बैंक दर में कटौती संभव नहीं

    आरबीआई ने खुदरा महंगाई दर को चार प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा है। आठ अगस्त को मौद्रिक नीति समिति के फैसले का ऐलान किया जाएगा। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में खुदरा महंगाई दर 4.9 प्रतिशत तक पहुंच गई। वर्ष 2023 के फरवरी में आरबीआई ने आखिरी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई और तब से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर स्थिर है।

    By Agency Edited By: Yogesh Singh Updated: Tue, 06 Aug 2024 11:45 PM (IST)
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    जानकारों का कहना है कि वैश्विक हालात में विकास दर में गिरावट की आशंका पैदा हो रही है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक मंगलवार से शुरू हो गई, लेकिन खाद्य वस्तुओं की बढ़ती महंगाई को देखते हुए आरबीआई की तरफ से बैंक दर में कटौती की कोई संभावना नहीं दिख रही है। इस साल जून में खुदरा महंगाई दर 5.08 प्रतिशत दर्ज की गई और जुलाई में भी सब्जी के भाव में तेजी की वजह से खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर में राहत की उम्मीद नहीं है जिसका प्रभाव कुल खुदरा महंगाई दर पर दिख सकता है।

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    आरबीआई ने खुदरा महंगाई दर को चार प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा है। आठ अगस्त को मौद्रिक नीति समिति के फैसले का ऐलान किया जाएगा। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में खुदरा महंगाई दर 4.9 प्रतिशत तक पहुंच गई। वर्ष 2023 के फरवरी में आरबीआई ने आखिरी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई और तब से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर स्थिर है।

    जानकारों का यह भी कहना है कि वैश्विक हालात में विकास दर में गिरावट की आशंका पैदा हो रही है और इसे देखते हुए आरबीआई हर हाल में खुदरा महंगाई को काबू में रखना चाहेगा। इसलिए बैंक दर में राहत फिलहाल संभव नहीं दिख रही है।