क्या स्वामीनाथन आयोग के हिसाब से MSP देना मुमकिन है? कांग्रेस सरकार ने क्यों किया था खारिज
किसान लंबे समय से मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इस मांग को लेकर लंबे समय तक धरना प्रदर्शन भी किया। विपक्षी दल भी किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार एमएसपी की गारंटी देने का समर्थन करते हैं। हालांकि कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस फार्मूले पर मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) देना संभव नहीं है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्वामीनाथन आयोग ने सी-2 फार्मूले के आधार पर खेती की लागत में 50 प्रतिशत राशि जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने की सिफारिश की थी। इसमें संसाधन, श्रम, समग्र पूंजी एवं जमीन की टेनेंसी रेट को भी शामिल करने की बात कही गई है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस फार्मूले पर मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) देना संभव नहीं है, क्योंकि विभिन्न राज्यों की जमीन का भाव अलग है। लीज रेंट अलग है। यहां तक कि एक ही गांव के विभिन्न हिस्से के भूखंड के दाम भी एक नहीं है। ऐसे में लागत के आकलन का कोई एक आधार नहीं हो सकता है। कांग्रेस के नेतृत्व में बनी केंद्र की पूर्व सरकार का भी ऐसा ही मानना था।
क्या थी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश
स्वामीनाथन आयोग का गठन 18 नवंबर 2004 में किया गया था। आयोग ने किसानों के कल्याण के लिए कुल पांच रिपोर्ट सौंपी। अंतिम रिपोर्ट चार अक्टूबर 2006 में सौंपी गई, जिसमें कहा गया कि एमएसपी उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होनी चाहिए।
कांग्रेस सरकार ने सिफारिश लागू क्यों नहीं की?
आयोग ने जब अपनी रिपोर्ट सौंपी तो उस वक्त मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। केंद्र ने आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया। यहां तक कि तत्कालीन कृषि मंत्री केवी थामस ने सदन में एक प्रश्न के जवाब में कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को अगर लागू कर दिया जाएगा तो बाजार में तबाही आ जाएगी। यह भी कहा कि एमएसपी और उत्पादन लागत को तकनीकी तौर पर जोड़ना उल्टा भी पड़ सकता है।
अभी 24 फसलों पर मिल रही है MSP
केंद्र सरकार अभी 24 फसलों पर एमएसपी दे रही है। इसका निर्धारण केंद्र सरकार राज्यों एवं मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय किया जाता है। उत्पादन की लागत, मांग-आपूर्ति की स्थिति, कीमतों का रुझान, कृषि व्यापार की शर्तें, उपभोक्ता और अर्थव्यवस्था पर एमएसपी के प्रभाव के साथ भूमि एवं पानी जैसे संसाधनों के तर्कसंगत उपयोग जैसे कारकों पर विचार के बाद एमएसपी का निर्धारण किया जाता है।
5 फसलों का बाजार भाव MSP से ज्यादा
एमएसपी एवं कृषि सुधार पर बनी उच्चस्तरीय समिति के सदस्य बिनोद आनंद का कहना है कि अब एमएसपी पर सौ प्रतिशत खरीद की गारंटी से आगे की तैयारी है। खरीद प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जा रहा है। अभी अरहर एवं उड़द दाल समेत पांच फसलों का बाजार भाव एमएसपी से ज्यादा है। मतलब है कि उक्त फसलों को बेचने के लिए किसान एमएसपी पर निर्भर नहीं हैं।
एमएसपी पर खरीद सिर्फ ढाई लाख करोड़
देश में समग्र कृषि उत्पादन का मूल्य करीब 40 लाख करोड़ रुपये है। संपूर्ण खरीदारी के लिए इतने पैसे कहां से आएंगे। अभी जिन 24 फसलों पर एमएसपी लागू है, उनका बाजार मूल्य दस लाख करोड़ रुपये है। एमएसपी पर खरीद सिर्फ ढाई लाख करोड़ की है। एमएसपी वाली 24 फसलों की खरीदारी के लिए दस लाख करोड़ चाहिए। प्रबंध कर भी लिया तो अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। फिर खरीद भी लिए तो रखेंगे कहां? देश में अभी सिर्फ 47 प्रतिशत अन्न के भंडारण की ही व्यवस्था है।
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