Move to Jagran APP

कर्ज माफी घोटाला: दोषियों को पकड़ नहीं पा रहे बैंक

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। किसान कर्ज माफी योजना में घोटाले पर भले ही देश की राजनीति में उबाल हो, लेकिन बैंकों के कान पर जूं नहीं रेंग रही। हद यह है कि जब भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने देश के बैंकों को इस स्कीम में हुए गड़बड़झाले को एक महीने में दूर करने को कहा तो सभी बैंक चुप्पी साध कर बैठ गए। समय सीमा खत्म होने के बाद अ

By Edited By: Published: Thu, 07 Mar 2013 09:24 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
कर्ज माफी घोटाला: दोषियों को पकड़ नहीं पा रहे बैंक

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। किसान कर्ज माफी योजना में घोटाले पर भले ही देश की राजनीति में उबाल हो, लेकिन बैंकों के कान पर जूं नहीं रेंग रही। हद यह है कि जब भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने देश के बैंकों को इस स्कीम में हुए गड़बड़झाले को एक महीने में दूर करने को कहा तो सभी बैंक चुप्पी साध कर बैठ गए। समय सीमा खत्म होने के बाद आरबीआइ को दोबारा इस बारे में अधिसूचना जारी करनी पड़ी है। मगर ज्यादातर बैंक इस घोटाले को लेकर अपने अधिकारियों और खातों की जांच करने वाले ऑडिटरों के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।

loksabha election banner

बैंक अपने तर्क दे रहे हैं। दिल्ली मुख्यालय स्थित एक सरकारी बैंक के एक प्रमुख अधिकारी के मुताबिक, 'नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] को सिर्फ 90 हजार खातों की जांच करने में दो वर्ष का समय लग गया। लेकिन बैंकों को साढ़े तीन करोड़ खातों की जांच महज एक महीने में पूरा करने को कहा गया है।' बैंकों की मुश्किल यह है कि इन खातों की जांच-पड़ताल ऑडिटर पिछले चार वर्षो से कर रहे हैं। इन पर स्वयं आरबीआइ की मुहर लग चुकी है। अब दोबारा उन्हीं खाता-बही की जांच करने को कहा जा रहा है। बैंकों का कहना है कि केंद्रीय बैंक को यह भी बताया चाहिए कि यह जांच किस आधार पर हो।

दरअसल, स्कीम पर कैग की रिपोर्ट सार्वजनिक होने से लगभग डेढ़ महीने पहले आरबीआइ ने सभी बैंकों को स्कीम में गड़बड़ी करने वाले अफसरों की पहचान कर उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। 14 जनवरी, 2013 को जारी इस दिशानिर्देश में बैंकों को एक महीने के भीतर कदम उठाने को कहा गया था। अभी तक एक भी बैंक ने किसी अधिकारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं कराई है। कैग की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद संसद के दोनों सदनों में जबरदस्त हंगामा हुआ है तो आरबीआइ ने दोबारा एक अधिसूचना और जारी की है। इसमें फिर बैंकों से कहा गया है कि वे उन अधिकारियों की पहचान करें जो कर्ज माफी के प्रस्तावों को स्वीकार करने व उन्हें अनुमति देने या सत्यापन करने की जिम्मेदारी निभा रहे थे। बैंकों से इस बारे में हर हफ्ते रिपोर्ट रिजर्व बैंक को भेजने को कहा गया है।

माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के दबाव में रिजर्व बैंक बैंकों को शीघ्रता से कदम उठाने के लिए कह रहा है। कैग ने रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय की भी खिंचाई की है कि उसने इतनी बड़ी योजना की निगरानी के लिए कुछ नहीं किया था। लेकिन जिन अधिकारियों ने योजना को लागू किया, उनके खिलाफ कदम उठाने को लेकर केंद्र सरकार चुप है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.