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    Economic Survey 2023: राजकोषीय संतुलन से ब्याज दरें होती हैं कम, आम जनता के हाथ में बचती है ज्यादा रकम

    Economic Survey 2023 इसं सर्वेक्षण में कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितता और जोखिम के बावजूद जब भारत में इकोनोमी रिकवरी बेहतर दिशा में आगे बढ़ रही तो राजकोषीय नीति को लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है। (जागरण-फोटो)

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Tue, 31 Jan 2023 09:15 PM (IST)
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    कम ब्याज देने की वजह से जनता पर कम बोझ मिलता है।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बुधवार को पेश होने वाले आम बजट में मध्यम वर्ग को मिलने वाली राहत की संभावनाओं के बीच आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि उसे राजकोषीय संतुलन पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे आम जनता के हाथ में ज्यादा रकम देने का रास्ता साफ होता है। यह इसलिए कि राजकोषीय प्रबंधन को बेहतर करने से ब्याज दरों को नीचे रखने में मदद मिलती है और इससे होम लोन, शिक्षा लोन, आटो लोन की दरें कम होती हैं।

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    राजकोषीय संतुलन का रोडमैप जरूरी

    जाहिर है कि कम ब्याज देने की वजह से जनता पर कम बोझ मिलता है। सर्वेक्षण में इस बात का संकेत है कि वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटे का स्तर निर्धारित लक्ष्य 6.4 फीसद से भी कम रहेगा। सर्वेक्षण में कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितता और जोखिम के बावजूद जब भारत में इकोनोमी रिकवरी बेहतर दिशा में आगे बढ़ रही तो राजकोषीय नीति को लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है। यह अनिश्चित माहौल में नीतिनिर्धारकों के सही रहेगा और साथ ही यह समाज के एक वर्ग को फायदा पहुंचाने वाला साबित होगा क्योंकि इससे ब्याज दरों को कम करने मे मदद मिलती है।

    सर्वेक्षण का तर्क

    इसका वित्तीय बाजार पर भी सकारात्मक असर होता है। जब ब्याज दरों में वृद्धि का माहौल हो तब राजकोषीय प्रबंधन की अहमियत ज्यादा होती है। इसके साथ ही केंद्र सरकार को राज्यों को भी बेहतर राजकोषीय प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित करने की नीति जारी रखनी चाहिए। इससे कर्ज के बोझ को संभालने में भी मदद मिलती है। आर्थिक सर्वेक्षण की तरफ आम जनता के हाथ में ज्यादा पैसा देने की यह तरकीब तब आई है जब यह माना जा रहा है कि इस बजट में मध्यम वर्ग को कुछ अतिरिक्त राहत देने का इंतजाम हो सकता है।

    खास तौर पर जिस तरह से पिछले दो वर्षों से देश में महंगाई की दर काफी ज्यादा रही है उसका असर आम जनता को हर तरह से उठाना पड़ा है। मध्यम वर्ग को दी जाने वाली राहत का फायदा केंद्र सरकार इस वर्ष होने वाले नौ राज्यों के विधान सभा चुनावों और आगामी आम चुनाव में भी हो सकता है।

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