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    प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेशकों के लिए पहली पसंद बन रहा है इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर

    By Pawan JayaswalEdited By:
    Updated: Mon, 16 Sep 2019 09:56 AM (IST)

    2019 के अंत तक निवेश 48 से 50 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है।रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह के निवेश का सबसे बड़ा हिस्सा इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में आया है।

    प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेशकों के लिए पहली पसंद बन रहा है इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेशकों के लिए देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पहली पसंद के रूप में उभर कर आया है। 2019 के पहले आठ महीने के पीई व वीसी निवेश के आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में सर्वाधिक निवेश इसी सेक्टर में प्राप्त हुआ है। वैसे इन आठ महीनों में देश में पीई व वीसी निवेश ने नया रिकॉर्ड भी बनाया है।

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    प्राइवेट इक्विटी (पीई) और वेंचर कैपिटल (वीसी) निवेश पर ईवाई की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अगस्त की समाप्ति तक इन निवेशकों ने देश में 36.7 अरब डॉलर (करीब 2.60 लाख करोड़ रुपये) का निवेश किया है। इनकी तरफ से भारत में होने वाले निवेश के मामले में यह अब तक का सर्वाधिक है। 2018 के पहले आठ महीने में इन निवेशकों ने 36.5 अरब डॉलर (करीब 2.59 लाख करोड़ रुपये) का निवेश किया था।

    2019 के अंत तक निवेश 48 से 50 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है।रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह के निवेश का सबसे बड़ा हिस्सा इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में आया है। पहले आठ महीने में आए कुल निवेश का 35 फीसद हिस्सा इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की परियोजनाओं को मिला है। रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक स्तर पर पेंशन और सॉवरेन फंडों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर आकर्षण का केंद्र है और इसके फिलहाल आगे भी बने रहने की उम्मीद है।

    रिपोर्ट के अनुसार अगस्त के महीने में देश में पीई और वीसी निवेश के 4.4 अरब डॉलर (करीब 31,250 करोड़ रुपये) के 82 एग्रीमेंट हुए। पिछले साल के मुकाबले निवेश के लिहाज से यह 39 परसेंट अधिक है। 2018 के अगस्त में 3.9 अरब डॉलर (करीब 27,700 करोड़ रुपये) के 59 एग्रीमेंट हुए थे। अगस्त में इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 80.3 करोड़ डॉलर (करीब 5,700 करोड़ रुपये) का निवेश हुआ।

    इसके बाद 76.4 करोड़ डॉलर (करीब 5,425 करोड़ रुपये) का निवेश रियल एस्टेट सेक्टर को मिला। तीसरे स्थान पर फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर रहा जिसके हिस्से 73.4 करोड़ डॉलर (करीब 5,210 करोड़ रुपये) का निवेश आया।