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    Repo Rate Hiked: बढ़ती महंगाई को देखते हुए RBI ने रेपो रेट में 0.40% का किया इजाफा, FD पर बढ़ सकता है ब्‍याज, लोन की EMI होगी महंगी

    Repo Rate Hike आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास महंगाई बढ़ने के बीच जरूरी बयान दे रहे हैं । यह बयान ऐसे समय है जब मुद्रास्फीति की दर भारत की ग्रोथ रिकवरी के लिए चुनौती पेश कर रही है ।

    By Ashish DeepEdited By: Updated: Wed, 04 May 2022 04:10 PM (IST)
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    RBI गवर्नर की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस । (Pti)

    नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को Repo Rate में 40 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी की घोषणा की है। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर में 40 बीपीएस बढ़ाने के लिए मतदान किया है। अब यह दर 4.4 फीसद हो गई है। रेपो दर में इस बढ़ोतरी से Home Loan, Car Loan और Personal Loan की EMI बढ़ने का अंदेशा है। CRR में भी 50 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी की गई है। रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद सेंसेक्‍स में 1300 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।

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    आरबीआई गवर्नर ने महंगाई को काबू करने पर फोकस की बात कही है। उनका बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक मुद्रास्फीति भारत की रिकवरी के लिए एक चुनौती पेश कर रही है। बता दें कि यूएस फेडरल रिजर्व रिकॉर्ड मुद्रास्फीति को काबू करने के लिए प्रमुख ब्‍याज दर में 50 आधार अंक की बढ़ोतरी कर सकता है। आरबीआई गवर्नर के अचानक संबोधन की खबर से शेयर बाजारों में गिरावट का रुख रहा। 

    Repo Rate में बढ़ोतरी के बाद महंगे होंगे लोन, FD के ब्‍याज दरों में हो सकता है इजाफा

    रेपो रेट वह कर्ज की वह दर होती है जिस पर बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक से उधारी लेते हैं। इससे बैंक के फंड की लागत बढ़ जाती है। परिणामस्‍वरूप, होम लोन, कार लोन और पर्सलन लोन जैसे कर्ज की दरों में बैंक इजाफा करते हैं। दूसरी तरफ, लोगों से फंड जुटाने के लिए बैंक फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट जैसे प्रोडक्‍ट की ब्‍याज दरों में इजाफा करते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अगर आप एफडी करवाने की योजना बना रहे हैं तो अभी थोड़ा इंतजार कर लें। निकट भविष्‍य में बेहतर ब्‍याज दर बैंक ऑफर कर सकते हैं।

    आरबीआई गवर्नर ने अप्रैल में मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2023 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 5.7 प्रतिशत किया था और आर्थिक विकास की दर को 7.2 प्रतिशत पर रखा था। इससे पिछली मौद्रिक नीति की समीक्षा में आरबीआई ने अपना फोकस ग्रोथ के बजाय मुद्रास्फीति पर करने का संकेत दिया था। वैश्विक कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के साथ-साथ पाम तेल के निर्यात पर इंडोनेशियाई प्रतिबंध से भारत के लिए महंगाई काबू कर पाना मुश्किल हो रहा है।