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    प्लास्टिक उत्पादों पर जीएसटी की दरों से उद्योंगों को हो रही है परेशानी

    By Surbhi JainEdited By:
    Updated: Fri, 02 Jun 2017 11:21 AM (IST)

    उद्योग ने प्लास्टिक उत्पादों पर GST की विसंगति दूर करने का आग्रह किया है

    प्लास्टिक उत्पादों पर जीएसटी की दरों से उद्योंगों को हो रही है परेशानी

    नई दिल्ली (जेएनएन)। प्लास्टिक उद्योग ने सरकार से जनता के रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले प्लास्टिक उत्पादों पर जीएसटी की विसंगति दूर करने का आग्रह किया है। उद्योग ने जीएसटी का स्वागत करते हुए कहा है कि इन आइटमों पर निर्धारित दरों में कई तरह की विसंगतियां हैं। उद्योग का मानना है कि प्लास्टिक उत्पादों पर जीएसटी की दरें तय करते वक्त जीएसटी काउंसिल की मूल भावना का पालन नहीं हुआ है।

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    जीएसटी काउंसिल ने तय किया था कि रोजमर्रा के उपयोग की आइटमों पर पांच फीसद की मेरिट जीएसटी दर अथवा न्यूनतम मानक दर 12 फीसद होनी चाहिए। कुछ उत्पादों को 18 फीसद की श्रेणी में व लक्जरी उत्पादों को 28 फीसद की दायरे में रखा जाना चाहिए। प्लास्टिक उद्योग की संस्था प्लास्ट इंडिया का मानना है कि कई प्लास्टिक उत्पादों पर जीएसटी तय करते समय जीएसटी काउंसिल की मूल भावना का खयाल नहीं रखा गया। इस उद्योग के प्रतिनिधियों ने अनुरोध किया कि प्लास्टिक उत्पादों का मुख्यत: इस्तेमाल आम आदमी, गरीब व मध्य वर्ग करता है। कुछ प्लास्टिक आइटमों को 12 फीसद से कम के टैक्स दायरे में रखा गया है, लेकिन आइटमों को 18 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में रखा गया है। जबकि कुछ आइटमों को 28 फीसदी के ऊंचे टैक्स ब्रैकेट में रखा गया है।

    उद्योग प्रतिनिधियों का मानना है कि कर में वृद्धि होने से लघु एवं मध्यम प्लास्टिक इंडस्ट्री प्रभावित होगी। गरीब एवं मध्य वर्ग द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले प्लास्टिक उत्पाद महंगे भी हो जाएंगे।

    विसंगति को बताते हुए प्लास्ट इंडिया फाउंडेशन के प्रेसीडेंट के. के. सेक्सरिया ने बताया कि कुछ आइटमों जैसे कि प्लास्टिक फर्नीचर, तारपोलीन वोवन और नॉन ओवन रैफिया फैब्रिक, ऑफिस एवं स्कूलों को आपूर्ति की जाती प्लास्टिक, पीवीसी फ्लोरिंग, पीई इंटरलॉकिंग मैट्स वैक्यूम फ्लास्क और अन्य कई प्लास्टिक के सामान का कहीं उल्लेख नहीं है। इनका इस्तेमाल मुख्यत: आम लोगों द्वारा किया जाता है लेकिन ये 28 फीसदी जीएसटी के दायरे में आ रहे हैं। प्लास्टिक फर्नीचर वजन में हल्के होते हैं, लागत में कम, लेकिन रखने में अधिक स्थान लेते हैं। इनके परिवहन, भंडारण और वितरण की लागत अधिक आती है। जीएसटी दर 28 फीसदी होने के चलते इसका आनुपातिक असर अधिक होगा।

    सेक्सरिया ने आगे कहा, ‘मौजूदा प्रत्यक्ष कर तंत्र में केंद्रीय उत्पाद शुल्क सिर्फ उत्पादन स्तर पर चुकाया जाता है लेकिन जीएसटी टैक्स तंत्र के तहत टैक्स का असर अंतिम उपभोक्ता तक होगा।

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