भारत-ब्रिटेन FTA से निर्यात और निवेश में होगा भारी उछाल! देश के कपड़ा, जूता और दवा कंपनियों को ऐसे मिलेगा बड़ा फायदा
भारत और ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (सीईटीए) से निर्यात और निवेश में वृद्धि की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे वस्त्र, ऑटोमोटिव, फुटवियर और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों को लाभ होगा। सेवा क्षेत्र में विस्तार होगा और पेशेवरों की आवाजाही आसान होगी। यह समझौता 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 120 अरब डॉलर तक पहुंचाने में मदद करेगा।

नई दिल्ली। भारत और ब्रिटेन के बीच हाल ही में हुआ मुक्त व्यापार समझौता (सीईटीए) देश के निर्यात को बढ़ाने और ब्रिटेन से निवेश आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच यह समझौता 24 जुलाई को हुआ था और इसके अगले वर्ष लागू होने की संभावना है।
डेलाइट इंडिया के पार्टनर गुलजार डिडवानिया का कहना है कि सीईटीए के माध्यम से भारत को निर्यात में वृद्धि, निवेश आकर्षण करने के साथ वस्त्र, आटोमोटिव उपकरण, फुटवियर और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में लगभग 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात के लिए शुल्क-मुक्त बाजार पहुंच प्राप्त होगी।
इस समझौते की एक महत्वपूर्ण विशेषता सेवा क्षेत्र में अवसरों का विस्तार है, जिससे भारतीय आइटी, वित्त, स्वास्थ्य देखभाल और पेशेवर सेवाप्रदाताओं के लिए ब्रिटेन के बाजार में नए द्वार खुलेंगे।
यह समझौता कुशल पेशेवरों की आवाजाही को सुगम बनाएगा, योग्यताओं की आपसी मान्यता को बढ़ावा देगा और शिक्षा, नवाचार तथा अनुसंधान में सहयोग को मजबूत करेगा। भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (फियो) के प्रेसिडेंट एससी रल्हन का कहना है कि यह समझौता 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 120 अरब डालर तक पहुंचाने में मदद करेगा।
भारत-ब्रिटेन एफटीए प्रमुख क्षेत्रों विशेषकर एमएसएमई और श्रम-आधारित उद्योगों के लिए अभूतपूर्व अवसर प्रदान करता है। यह न केवल शुल्कों को कम करता है, बल्कि सेवाओं और निवेशों के लिए नियामक बाधाओं को भी सरल बनाता है। यह समझौता भारत के मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ ब्रिटेन से निवेश को आकर्षित करेगा।
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