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    सोने के बाजार में भारत का दबदबा, 23 ट्रिलियन डॉलर के Gold मार्केट में India की हिस्सेदारी जानकर चौंक जाएंगे आप

    सोने के बाजार में भारत की 15% हिस्सेदारी है जो इसे महत्वपूर्ण बनाती है। वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार में इसका बड़ा योगदान है। केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीद में वृद्धि हुई है खासकर पिछले चार सालों में। अमेरिकी ट्रेजरी बांड की अस्थिरता के कारण केंद्रीय बैंक सोने की ओर आकर्षित हो रहे हैं। आरबीआई के पास 880 मीट्रिक टन सोना है।

    By Jagran News Edited By: Gyanendra Tiwari Updated: Mon, 07 Jul 2025 07:33 PM (IST)
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    23 ट्रिलियन डॉलर के Gold मार्केट में India की हिस्सेदारी जानकर चौंक जाएंगे आप

    IANS, नई दिल्ली। सोने का बाजार वर्तमान में 23 ट्रिलियन डालर के स्तर पर पहुंच गया है और इसमें से 15 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की है। वर्तमान में वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 12.5 ट्रिलियन डालर का है।

    डीएसपी म्यूचुअल फंड की जुलाई 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक निकाले गए कुल सोने में 65 प्रतिशत आभूषणों के रूप में हैं और वैश्विक भंडार का मात्र पांच प्रतिशत सोने में स्थानांतरित होने से इसकी कीमत में महत्वपूर्ण उछाल आ सकता है।

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    2000 से 2016 तक 85 अरब डालर का सोना खरीदा

    केंद्रीय बैंकों के सोने के भंडार में वृद्धि हो रही है और उन्होंने पिछले 21 वर्षों की तुलना में पिछले चार सालों में अधिक सुरक्षित संपत्तियां खरीदी हैं। वर्ष 2000 से 2016 तक केंद्रीय बैंकों ने 85 अरब डालर का सोना खरीदा जबकि वर्ष, 2024 में ही अकेले विभिन्न देशों के रिजर्व बैंक ने 84 अरब डालर का सोना खरीदा।

    रिपोर्ट के अनुसार, 2022 से केंद्रीय बैंकों ने प्रत्येक वर्ष लगभग 1,000 टन कीमती धातु खरीदी है और यह सोने की वार्षिक खनन आपूर्ति का एक चौथाई से अधिक है। सोने की खरीद का यह सिलसिला अधिकांश देशों की गैर-डालर आरक्षित परिसंपत्तियों को रखने की रुचि को दर्शाता है। अमेरिकी ट्रेजरी बांड की अस्थिर प्रकृति के चलते केंद्रीय बैंक सोने के प्रति और आकर्षित हो रहे हैं।

    सोने की मांग मजबूत बनी रहेगी

    रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल सोने की मांग मजबूत बनी रहेगी। आरबीआइ के पास कुल 880 मीट्रिक टन सोना है। इसने वित्त वर्ष 2025-26 में अभी तक अपने सोने के भंडार में किसी तरह की वृद्धि नहीं की है। विशेषज्ञों का मानना है कि भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार अनिश्चितताओं के बीच आरबीआइ सुरक्षित संपत्ति की कीमतों में नरमी का इंतजार है।

    ट्रंप टैरिफ के फैसले से बढ़ सकती है पीली धातु की मांग

    विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले सप्ताह में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। इसका कारण यह है कि निवेशक नौ जुलाई की महत्वपूर्ण टैरिफ समयसीमा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व सहित प्रमुख केंद्रीय बैंकों के नीतिगत संकेतों पर नजर रख रहे हैं। विश्लेषकों ने कहा, ''ये कारक निकट भविष्य में सोने की कीमतों की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।''

    वेंचुरा में कमोडिटी डेस्क के प्रमुख एनएस रामास्वामी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें वर्तमान में 3,345 डालर प्रति औंस पर हैं। रामास्वामी ने कहा कि अमेरिका में राजकोषीय घाटे की ¨चता और आसन्न ट्रंप टैरिफ फैसले से नई अस्थिरता पैदा हो सकती है और पीली धातु की मांग बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि मई में केंद्रीय बैंकों ने वैश्विक स्वर्ण भंडार में शुद्ध 20 टन सोना जोड़ा।

    जेएम फाइनेंशियल के कमोडिटी और करेंसी रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट प्रणव मेर ने भी केंद्रीय बैंक की लगातार खरीद और ईटीएफ के माध्यम से खुदरा और संस्थागत निवेश में वृद्धि को सोने की कीमतों में तेजी के तौर पर इंगित किया है। मेर ने कहा कि 2025 की पहली छमाही में सोने की कीमतों ने लगभग 25 प्रतिशत की बढ़त के साथ सभी परिसंपत्ति वर्गों को पीछे छोड़ दिया है।