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    देश पर 64 लाख करोड़ का विदेशी कर्ज, FY25 में 10% बढ़ी उधारी, कर्जदारों के मामले में कौन-से नंबर पर भारत

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 01:40 PM (IST)

    वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट से पता चला है कि वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक भारत का विदेशी कर्ज 10 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 730 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। डेट-जीडीपी रेशियो में 60 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि हुई है। हालांकि सरकार ने कहा कि विभिन्न देशों के दृष्टिकोण से भारत का विदेशी ऋण मामूली है।

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    वित्त मंत्रालय ने जारी किए विदेशी कर्ज से जुड़े आंकड़े

    नई दिल्ली। ऐसा नहीं है कि उधारी और देनदारी सिर्फ आम आदमी पर होती है। बड़ी कंपनियों से लेकर सरकार पर भी कर्ज होता है। भारत सरकार का कुल विदेशी कर्ज (Indias External Debt) वित्तीय वर्ष 2025 में 10 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 730 अरब डॉलर (6,44,71,91,31,89,000 रुपये) पर पहुंच गया है। दरअसल, वित्त मंत्रालय (Finance Ministry Report) ने बताया है कि वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक भारत का विदेशी कर्ज 10 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 730 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। हालांकि, डेट-जीडीपी रेशियो में 60 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि हुई है। ऐसे में मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार राहत प्रदान कर रहा है। वहीं, सरकार ने वर्तमान लोन स्टेट्स को 'मामूली' बताया है। आइये आंकड़ों से आपको बताते हैं कि विदेशी कर्ज के मामले में भारत की स्थिति क्या है।

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    भारत पर कुल कितना विदेशी कर्ज

    - देश का कुल विदेशी कर्ज 10 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 736.3 अरब डॉलर पर हुआ है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 के अंत तक कुल विदेशी ऋण 660 अरब डॉलर से अधिक था।

    - सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में विदेशी कर्ज 19.1 फीसदी है जबकि 2023-24 में यह 18.5 फीसदी था।

    - विदेशी मुद्रा भंडार, कुल कर्ज के 90.8 फीसदी को चुका सकता है, जबकि 2023-24 में यह अनुपात 96.7 फीसदी था। 2024 के अंत में विदेशी कर्ज लेने वालों की सूची में भारत 22वें स्थान पर था।

    सरकार ने रिपोर्ट में क्या कहा

    वित्त मंत्रालय ने विदेशी कर्ज पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा, "विभिन्न देशों के दृष्टिकोण से, भारत का विदेशी ऋण मामूली है। कर्ज से जुड़े विभिन्न इंडिकेटर्स के संदर्भ में भारत की स्थिरता निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) के समूह और उनमें से कई देशों की तुलना में बेहतर है।" भारतीय रुपये और अन्य मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर के मूल्य में वृद्धि के कारण मूल्यांकन प्रभाव 5.3 अरब डॉलर रहा।

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    विदेशी कर्ज लेने के मामले में नॉन-फाइनेंशियल कॉरपोरेशन सबसे आगे रहे। मार्च 2025 के आखिरी तक इन संस्थाओं पर 261.7 बिलियन डॉलर की उधारी है। वहीं, कमर्शियल लैंडर्स सबसे बड़े कर्जदाता रहे, जिनका कुल बाहरी कर्ज में 39.6 प्रतिशत हिस्सा रहा।