वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर, जानें RBI का आकलन
आरबीआई ने कहा है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर है। भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार अनिश्चितताओं के बीच भी अर्थव्यवस्था लचीला बनी हुई है। आरबीआई ने रेपो रेट और सीआरआर में कटौती की है जिससे विकास को बढ़ावा मिला है। ग्रीष्मकालीन फसलों की बेहतर संभावनाओं और सेवा क्षेत्र में मजबूती से आर्थिक गतिविधियों को सहारा मिला है।

रायटर, मुंबई। आरबीआइ ने अपने मासिक बुलेटिन में कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद स्थिर बनी हुई है और भू-राजनीतिक तनावों तथा व्यापार अनिश्चितताओं के प्रभाव से निपट रही है। आरबीआइ ने पिछले महीने रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती की थी और बैंकों के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी कटौती की थी, क्योंकि कम मुद्रास्फीति ने उसे अस्थिर वैश्विक परिस्थितियों के बीच विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने की गुंजाइश दी।
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक लेख में RBI ने कहा कि भारत की आर्थिक गतिविधियां लचीली बनी हुई हैं, जिसे ग्रीष्मकालीन फसलों की बेहतर संभावनाओं, सेवा क्षेत्र में मजबूत गति और औद्योगिक गतिविधियों में मामूली वृद्धि से मदद मिली है। केंद्रीय बैंक ने कहा, उच्च आवृत्ति संकेतक समग्र मांग में स्थिरता का संकेत देते हैं।
भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर जून में घटकर 2.10त्न हो गई, जो छह साल का निचला स्तर है। आरबीआइ ने बुलेटिन में कहा, पश्चिम एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार समझौतों को लेकर आशावाद के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए नियामक मानदंडों में कुछ ढील ने जून के दूसरे पखवाड़े में वित्तीय बाजार की धारणा को बढ़ावा दिया।
हालांकि, जुलाई के पहले पखवाड़े में, घरेलू निवेशकों की धारणा भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की संभावना को लेकर जारी अनिश्चितता और जून में समाप्त तिमाही में मिश्रित आय के बीच सतर्क रही।
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