GST Rate Cut की राहत के बीच अगस्त में खुदरा महंगाई 2.07% बढ़ी, खाने-पीने की कीमतों में बढ़ोतरी का दिखा असर
अगस्त में खाद्य पदार्थों की कीमतों में मामूली वृद्धि के कारण खुदरा महंगाई 2.07% तक पहुंच गई लेकिन यह लगातार दसवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक की सहनशीलता सीमा के भीतर रही। खाद्य पदार्थों की कीमतों में 0.69% की वृद्धि हुई जबकि सब्जियों की कीमतों में 15.92% की गिरावट आई। जानिए

नई दिल्ली। अगस्त में खाने-पीने की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी के कारण 2.07% तक पहुंच गई, लेकिन लगातार दसवें महीने केंद्रीय बैंक के सहनशीलता बैंड के भीतर रही।
भारतीय रिजर्व बैंक को लगातार तीन तिमाहियों से अधिक समय तक महंगाई को 2%-6% की अपनी सहनशीलता सीमा से आगे नहीं बढ़ने देने का आदेश दिया गया है।
अगस्त में खाद्य पदार्थों की कीमतों में 0.69% की गिरावट आई, जबकि जुलाई में 1.76% की गिरावट आई थी, जबकि सब्जियों की कीमतों में 15.92% की गिरावट आई, जबकि पिछले महीने 20.69% की गिरावट आई थी।
सामान्य से अधिक बारिश का दिख सकता है असर
अगस्त में सामान्य से अधिक बारिश और सितंबर में भी इसी तरह की बारिश की उम्मीद के बाद खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि की उम्मीद है, जिससे भारत में चावल, कपास, सोयाबीन और दालों जैसी गर्मियों में बोई जाने वाली फसलों को नुकसान हो सकता है।
GST Rate Cut से महंगाई कम होने की उम्मीद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खाद्य पदार्थों और सैकड़ों उपभोक्ता वस्तुओं पर घोषित GST रेट कटौती से आने वाले महीनों में महंगाई कम होने की उम्मीद है।
ज्यादा महंगाई वाले टॉप-5 प्रमुख राज्य
मंत्रालय के अनुसार, अगस्त महीने में साल-दर-साल ज्यादा महंगाई वाले टॉप-5 प्रमुख राज्य केरल, कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर, पंजाब और तमिलनाडु थे। हालांकि, महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के तय 2-6 प्रतिशत के दायरे में है।
जुलाई में, खुदरा महंगाई तेजी से घटकर 1.55 प्रतिशत पर आ गई, जो जून 2017 के बाद से सबसे निचला स्तर था।
खाद्य कीमतें भारतीय नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय थीं, जो खुदरा महंगाई को लगभग 4 प्रतिशत पर बनाए रखना चाहते थे।
उन्नत अर्थव्यवस्थाओं सहित कई देशों के लिए महंगाई चिंता का विषय रही है, लेकिन भारत ने अपनी महंगाई की गति को काफी हद तक नियंत्रित रखा है। RBI ने लगातार ग्यारहवीं बार अपनी बेंचमार्क रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा और फिर फरवरी 2025 में लगभग 5 साल में पहली बार इसमें कटौती की।
विश्लेषकों को उम्मीद है कि महंगाई नियंत्रण में रहेगी, जिससे RBI आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा। हाल ही में रेपो दर में की गई कटौती इसका एक अच्छा संकेत है। यही वजह है आरबीआई की नई एमपीसी बैठक में वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई के पूर्वानुमान को 4 फीसदी से घटाकर 3.7 फीसदी कर दिया गया।
सामान्य मानसून मानते हुए, 2025-26 की पहली तिमाही के लिए औसत महंगाई 2.9 फीसदी, दूसरी तिमाही के लिए 3.4 फीसदी, तीसरी तिमाही के लिए 3.9 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए 4.4 फीसदी रहने का अनुमान है, जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित होंगे।
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