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    राम मंदिर, वैष्णो देवी…इत्यादि, कितनी है कमाई और कितना देते हैं टैक्स , पढ़ें डिटेल्स

    भारत में कई प्रसिद्ध मंदिर है। जहां अक्सर लोग घूमने और मनोकामना पूरी करने जाते हैं। वहीं कई लोग अक्सर यहां अपनी फैमिली के साथ घूमने और समय व्यतीत करने आते हैं। आइए जानते हैं कि इन स्थानों से भारत सरकार की कितनी कमाई हो जाती है या कितना टैक्स मिलता है।

    By Mansi Bhandari Edited By: Mansi Bhandari Updated: Tue, 12 Aug 2025 03:55 PM (IST)
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    भारत के मंदिर और ऐतिहासिक स्थल कितनी होती है कमाई, कितना देते हैं टैक्स?

     नई दिल्ली। प्रसिद्ध मंदिरों में हर दिन भारी मात्रा में दान चढ़ता है। इसकी गिनती करना भी मुश्किल है। हर दिन यहां कई लोग घूमने आते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, इन स्थानों की कितनी कमाई होती है और ये सरकार को कितना टैक्स देते हैं। आइए जानते हैं।

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    राम मंदिर

    बीते समय बीजेपी सरकार द्वारा राम मंदिर का फिर से निर्माण किया गया है। इसे जनता के लिए महल जैसा भव्य बनाया गया। आज इस मंदिर की हर दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो राम मंदिर की ओर से पिछले पांच सालों में सरकार को 400 करोड़ रुपये टैक्स दिया गया है। इसमें से 270 करोड़ रुपये केवल जीएसटी था।

    तिरुमाला मंदिर

    इस मंदिर को देश का सबसे अमीर मंदिर भी कहा जाता है। ये अनुमान है कि साल 2014 में मंदिर ने 700 करोड़ रुपये की कमाई की थी। पिछले साल नवंबर 2024 में ये मंदिर सुर्खियों में बना हुआ था। क्योंकि मंदिर की ओर से पिछले सात साल से टैक्स नहीं भरा जा रहा था। इसका मूल्य 1.57 करोड़ रुपये था। इसके लिए सरकार की ओर से मंदिर को नोटिस भेजा गया था।

    वैष्णो मंदिर

    वैष्णो मंदिर भी देश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ये अमीर मंदिरों की लिस्ट में भी शामिल हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में चढ़ावे से मंदिर को 255 करोड़ रुपये मिले, ये कर मुक्त है। वहीं 133 करोड़ रुपये मंदिर को ब्याज से मिले।

    वहीं अगर वित्त वर्ष 2021 से अब तक यानी पांच सालों में मंदिर की ओर से 130 करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में दिए गए हैं।

    मंदिरों पर कैसे लगता है टैक्स?

    ‘टैक्स नियम के अनुसार प्रसाद और धार्मिक समारोह जीएसटी से मुक्त होते हैं। तिरुमाला और वैष्णो मंदिर इससे एक तिहाई से ज्यादा कमाते हैं। ये किराया मंदिर के पास मौजूद दुकान और कमरे से लिया जाता है। अगर मंदिर के पास मौजूद कमरे का शुल्क 1,000 रुपये से अधिक है और सामुदायिक हॉल या खुले क्षेत्र का शुल्क 10,000 रुपये से अधिक है, तो इसके किराये पर जीएसटी लगती है।

    हालांकि मंदिर के पास मौजूद दुकाने जो व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए दी गई है, उन पर जीएसटी नहीं लगता। लेकिन किराया 10 हजार रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। सरकार की ओर से ये जीएसटी ट्रस्टों द्वारा संचालित स्मारिका दुकानों और अन्य व्यावसायिक उपक्रमों पर लगाया जाता है। जैसे वैष्णो देवी ट्रस्ट एक हेलीकॉप्टर सेवा और स्मारक दुकानें चलाई जाती है।

    ट्रस्ट ने वित्त वर्ष 2024 में बिक्री से 19 प्रतिशत या 129.6 करोड़ रुपये और किराये से 84 करोड़ रुपये या 12 प्रतिशत कमाया था।