82 यूनिकार्न ने जुटाया अब तक 38.4 अरब डालर, इस साल 40 कंपनियां यूनिकार्न क्लब में हुईं शामिल
देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने में स्टार्टअप का भी खासा योगदान है। आज भारत में 82 यूनिकार्न हैं और इनको अब तक (2014 से 4 दिसंबर 2021 तक) 38.4 अर ...और पढ़ें

नई दिल्ली, आइएएनएस। देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने में स्टार्टअप का भी खासा योगदान है। इसको इस बात से ही समझ सकते हैं कि आज भारत में 82 यूनिकार्न हैं और इनको अब तक (2014 से 4 दिसंबर, 2021 तक) 38.4 अरब डालर का निवेश मिल चुका है। अकेले वर्ष 2021 में 40 कंपनियां यूनिकार्न क्लब में शामिल हुई। इन कंपनियों ने 347 सौदों के जरिये 10.9 अरब डालर जुटाए। बता दें कि यूनिकार्न उन कंपनियों को कहते हैं, जिनका मार्केट कैप एक अरब डालर हो जाता है। हुरुन रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार भारत इस साल अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप ईकोसिस्टम बनकर उभरा है। भारत के यूनिकार्न का कुल मार्केट कैप निकालें तो यह 168 अरब डालर से ज्यादा है।
एलायंस आफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक सिजो कुरुविला जार्ज ने कहा कि स्टार्टअप कंपनियों के एसेट बनने से भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम को मजबूती मिली। जोमैटो और नायका जैसे यूनिकार्न के सफल आइपीओ इस बात की पुष्टि करते हैं। डेलायट इंडिया के पार्टनर केआर सेकर के मुताबिक देश में मांग और ग्राहक का आकार बहुत बड़ा है। इसके अलावा बेहतर नेटवर्क और अच्छी दूरसंचार नीति के चलते स्टार्टअप के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। साफ्टवेयर एज ए सर्विस (एसएएएस) कंपनियां भी निवेशकों की पसंद बन रही हैं। कोरोना महामारी के बाद खरीदारी में होने वाले बदलाव के चलते ऐसी कंपनियों की संख्या बढ़ी है। पिछले पांच वर्षो में ऐसी कंपनियों की संख्या दोगुनी हुई है और 2025 तक इस तरह की कंपनियों का कुल राजस्व 30 अरब डालर पहुंचने की उम्मीद है। इस तरह की 13 ऐसी कंपनियां हैं जो यूनिकार्न क्लब में शामिल हैं।
सरकार के कम हस्तक्षेप से स्टार्टअप इकोसिस्टम में होगी प्रगति: गोयल
पुणे, पीटीआइ। सरकार स्टार्टअप ईकोसिस्टम में जितना कम हस्तक्षेप करेगी, उसके सफल होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। यह बात वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को कही। पुणे स्थित सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पार्क का दौरा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर देश में अरबों समस्याएं हैं तो इनसे निपटने के लिए हमारे पास अरबों प्रतिभाशाली उद्यमी हैं। उन्होंने कहा, 'सूचना-प्रौद्योगिकी (आइटी) क्षेत्र को देखें। यह भारत में सफल है, क्योंकि इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है। निजी क्षेत्र के कामकाज में कम से कम हस्तक्षेप करने से उसकी गुणवत्ता बढ़ती है। बैसाखी केवल कुछ समय तक मदद करती है। अगर हम वास्तव में इस इकोसिस्टम को विकसित होने देना चाहते हैं तो हमें इसे अपने आप काम करने देना होगा।'

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