Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारतीय रिफाइनिंग कंपनियां रद्द कर रही हैं क्रूड पाम ऑयल के आयात ऑर्डर, क्या है इसकी वजह

    Updated: Wed, 18 Jun 2025 07:29 PM (IST)

    Crude palm oil import cancellation India मई में भारतीय आयातकों ने अप्रैल की तुलना में 84 प्रतिशत अधिक पाम ऑयल आयात किया था। हाल में दाम गिरने पर जुलाई से सितंबर की डिलीवरी के लिए उन्होंने सौदे किए थे लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड पाम ऑयल के दाम बढ़ गए हैं।

    Hero Image
    भारतीय रिफाइनिंग कंपनियां रद्द कर रही हैं क्रूड पाम ऑयल आयात ऑर्डर

    भारत में पाम ऑयल की रिफाइनिंग करने वाली कंपनियां क्रूड पाम ऑयल आयात के ऑर्डर रद्द कर रही हैं। न्यूज़ एजेंसी रायटर्स के अनुसार भारतीय रिफाइनर अभी तक 65,000 टन क्रूड पाम ऑयल के ऑर्डर रद्द कर चुके हैं। ये ऑर्डर पिछले तीन दिनों में रद्द (Crude palm oil import cancellation India) हुए हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा पाम ऑयल आयात करने वाला देश है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जो ऑर्डर रद्द (CPO import orders scrapped 2025) किए गए हैं, वे जुलाई से सितंबर की डिलीवरी वाले थे। दरअसल, मलेशियाई पाम ऑयल का फ्यूचर्स मार्केट में दाम 6% से ज्यादा बढ़ गया है। इससे आयातकों को सौदे रद्द करने पर ज्यादा मार्जिन मिल रहा है। इंडोनेशिया के बाद मलेशिया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पाम उत्पादक देश है।

    ऑर्डर रद्द करने पर मिल रहा है ज्यादा मुनाफा

    क्रूड पाम ऑयल के एक आयातक (Indian oil refiners latest update) ने बताया कि बाजार में इस समय दाम काफी ऊपर-नीचे हो रहे हैं। क्रूड पाम ऑयल आयात करने, उसे रिफाइन करने और फिर उसे लोकल मार्केट में बेचने पर जितना मार्जिन मिलेगा, उससे अधिक मार्जिन ऑर्डर रद्द करने पर मिल रहा है। इस आयातक ने जुलाई डिलीवरी का ऑर्डर रद्द किया है।

    अचानक दाम बढ़ने के कारण भारतीय रिफाइनिंग कंपनियां 1050 से 1065 डॉलर प्रति टन के भाव पर सौदे रद्द कर रही हैं। इससे उन्हें प्रति टन 30 डॉलर से अधिक का प्रॉफिट हो रहा है। नई दिल्ली के एक डीलर ने बताया कि भारतीय खरीदार मौजूदा बाजार भाव से थोड़े कम रेट पर सौदे रद्द कर रहे हैं।

    भारतीय खरीदारों ने करीब एक महीना पहले क्रूड पाम ऑयल खरीद के सौदे किए थे। ये सौदे 1000 से 1030 डॉलर प्रति टन के भाव पर हुए थे। इसमें लागत के अलावा बीमा और माल भाड़ा भी शामिल था।

    8 माह के निचले स्तर पर पहुंच गए थे दाम

    पाम ऑयल उत्पादन बढ़ने के कारण क्रूड पाम के दाम 8 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए थे। तभी भारतीय खरीदारों ने इसके सौदे किए थे। लेकिन इस हफ्ते इसके दाम में अचानक तेजी आ गई है। अमेरिका ने बायोफ्यूल ब्लेंडिंग की मात्रा बढ़ाने का ऐलान किया है, जिसके बाद कीमतों में वृद्धि हुई है। भारत से आयात के ऑर्डर बढ़ने का भी असर है।

    मई में लगभग दोगुना हो गया पाम ऑयल का आयात

    सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अनुसार मई में पाम ऑयल का आयात अप्रैल की तुलना में 84 प्रतिशत बढ़कर 5.93 लाख टन हो गया। यह नवंबर 2024 के बाद सबसे अधिक था। पिछले महीने सोया ऑयल का आयात 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 3.99 लाख टन और सूरजमुखी तेल का आयात 1.9 प्रतिशत बढ़कर 1.84 लाख टन रहा। इससे पहले अक्टूबर 2024 में खत्म हुए पिछले मार्केटिंग वर्ष में भारत का औसत पाम तेल आयात 7.5 लाख टन प्रति माह से अधिक था।

    पाम और सोया तेल के अधिक आयात के चलते भारत ने मई में 11.9 लाख टन वनस्पति तेल का इंपोर्ट किया। यह अप्रैल के मुकाबले 33 प्रतिशत अधिक था। भारत इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम ऑयल, अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोया और सूरजमुखी ऑयल का आयात करता है।

    आने वाले महीनों में आयात बढ़ने की उम्मीद

    भारत में जुलाई डिलीवरी के लिए क्रूड पाम ऑयल 1070 डॉलर प्रति टन के भाव बेचा जा रहा है। महीने भर पहले इसका दाम 1020 से 1030 डॉलर प्रति टन था। वनस्पति तेल ब्रोकरेज फर्म सनवीन ग्रुप के चीफ एग्जीक्यूटिव संदीप बाजोरिया ने बताया कि सौदे रद्द होने के बावजूद आने वाले महीनों में भारत का आयात बढ़ेगा।

    मई में भारत का पाम तेल आयात 6 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। इसके दो प्रमुख कारण थे। एक तो स्टॉक कम था और दूसरा सोया तेल और सनफ्लावर ऑयल की तुलना में पाम तेल की कीमत बहुत कम थी। भारत सरकार ने पिछले महीने क्रूड फॉर्म ऑयल पर आयात शुल्क आधा कर दिया था। उसके बाद आयात सौदों में तेजी आई थी। हालांकि नई परिस्थितियों में वह तेजी खत्म होती लग रही है।

    घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम कम करने और घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को प्रोत्साहित करने के मकसद से सरकार ने हाल ही क्रूड पाम, सूरजमुखी और सोयाबीन ऑयल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया। इससे क्रूड और रिफाइंड खाद्य तेलों के बीच आयात शुल्क का अंतर 8.75% से बढ़कर 19.25% हो गया।