Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत बन रहा है अमेरिका का सबसे बड़ा सप्लायर, 44 फीसदी बढ़ा निर्यात

    By Jagran NewsEdited By: Priyanka Kumari
    Updated: Fri, 22 Sep 2023 09:01 PM (IST)

    पिछले पांच साल में अमेरिका होने वाले भारतीय निर्यात में 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस अवधि में अमेरिका को होने वाले चीन के निर्यात में 10 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले कुछ सालों से भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की लगातार कोशिश कर रहा है। भारत ने 14 सेक्टर में अपनी मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) स्कीम लॉन्च की है।

    Hero Image
    भारत बन रहा है अमेरिका का सबसे बड़ा सप्लायर

     नई दिल्ली,जागरण ब्यूरो। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में भारतीय निर्यात की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ दुनिया के सबसे बड़े सप्लायर चीन की हिस्सेदारी अमेरिकी बाजार में घटती जा रही है। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका चीन से अपने आयात में लगातार कटौती कर रहा है। वहीं, भारत, मैक्सिको व अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से अपने आयात को बढ़ा रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत पिछले कुछ सालों से मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की लगातार कोशिश कर रहा है और कई सेक्टर में भारत को सफलता भी मिली है। भारत ने 14 सेक्टर में अपनी मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) स्कीम लॉन्च की है। बीसीजी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में भारत अपने प्रयासों से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वैश्विक विजेता बनकर उभरा है।

    तभी वर्ष 2018 से वर्ष 2022 के बीच अमेरिका होने वाले भारतीय निर्यात में 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान अमेरिका होने वाले भारतीय निर्यात में 23 अरब डॉलर का इजाफा रहा। दूसरी तरफ इस अवधि में अमेरिका को होने वाले चीन के निर्यात में 10 प्रतिशत की कमी आई।

    अमेरिका ने चीन से होने वाले अपने मैकेनिकल मशीनरी के आयात में पिछले चार सालों में 28 प्रतिशत की कटौती की है जबकि भारत से अमेरिका भेजे जाने वाली मशीनरी में इस अवधि में 70 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

    चीन के मुकाबले भारत में सामान बनाना सस्ता

    रिपोर्ट के मुताबिक भारत इंजन और टरबाइन का तेजी से बड़ा उत्पादक बन रहा है। भारत में उत्पादन लागत भी कम है और पिछले कुछ सालों से भारत में इलेक्ट्रिक वाहन से लेकर केमिकल व अन्य भारी मशीन की सप्लाई चेन स्थापित हो रही है।

    बीसीजी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बने सामान को अगर अमेरिका में बनाया जाए तो उसकी लागत भारत की उत्पादन लागत से 15 प्रतिशत अधिक होगी जबकि चीन में अगर कोई सामान बनता है तो उसकी लागत अमेरिकी लागत से सिर्फ चार प्रतिशत कम होगी। पिछले साल भारत ने यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ विदेश व्यापार समझौता भी किया है और इसका भी भारतीय निर्यात को लाभ मिलेगा।