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    75 साल बाद भी अमेरिका से पीछे होगा भारत, प्रति व्यक्ति आय बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती

    Updated: Sat, 03 Aug 2024 02:39 PM (IST)

    पिछले कुछ साल में भारत की अर्थव्यवस्था काफी तेजी से बढ़ी है। केंद्र सरकार ने 2047 तक देश को विकसित बनाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि भारत के सामने बड़ी समस्या प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने की रहेगी। वर्ल्ड बैंक का कहना है कि भारत जैसे 100 विकासशील देश मिडिल इनकम ट्रैप में फंस सकते हैं और उनके लिए अमेरिका के बराबर प्रति व्यक्ति आय हासिल करना काफी मुश्किल होगा।

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    2023 के अंत में 108 देशों को मध्यम आय के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत आर्थिक तरक्की की राह पर तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन, प्रति व्यक्ति आय बढ़ाना देश के लिए बड़ी समस्या है। विश्व बैंक (World Bank) ने भी अपनी रिपोर्ट में यही चिंता जताई है। उसका कहना है कि भारत समेत 100 से अधिक देश हाई-इनकम वाले देश बनने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

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    World Development Report 2024: The Middle Income Trap रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को अमेरिका के एक चौथाई प्रति व्यक्ति आय के स्तर तक पहुंचने में भी करीब 75 साल लगेंगे। इंडोनेशिया भी लगभग 70 साल का समय लेगा। हालांकि, चीन इस उपलब्धि को करीब 10 साल में ही हासिल कर सकता है।

    मिडिल इनकम ट्रैप बड़ी समस्या

    वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने पिछले 50 वर्षों के सबक का हवाला दिया है। इसमें पाया गया है कि जैसे-जैसे देश अमीर होते जाते हैं, वे आम तौर पर प्रति व्यक्ति वार्षिक अमेरिकी जीडीपी के लगभग 10 प्रतिशत के 'जाल' में फंस जाते हैं। यह फिलहाल 8,000 अमेरिकी डॉलर के बराबर है। वर्ल्ड बैंक ने मध्यम आय वाले देशों के रूप में वर्गीकृत करने की जो सीमा बनाई है, यह उसके मध्य में है।

    विकासशील देशों में चुनौतियों का पहाड़

    2023 के अंत में 108 देशों को मध्यम आय के रूप में वर्गीकृत किया गया था। इनमें से प्रत्येक की प्रति व्यक्ति वार्षिक जीडीपी 1,136 अमेरिकी डॉलर से 13,845 अमेरिकी डॉलर के बीच थी। ये देश छह अरब लोगों का घर हैं, मतलब कि दुनिया की 75 फीसदी इन्हीं 6 देशों में गुजर-बसर करती है।

    यहां हर तीन में से दो लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे हैं। आगे की राह देखें, तो अतीत के मुकाबले चुनौतियां और भी ज्यादा कड़ी हैं। इन देशों में आबादी और कर्ज तेजी से बढ़ रहा है। भू-राजनीतिक और व्यापार से जुड़ी दिक्कतों में भी इजाफा हो रहा है। इनके सामने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना आर्थिक तरक्की की रफ्तार बढ़ाने की चुनौती भी है।

    (पीटीआई से इनपुट के साथ)

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