'अमेरिका से अपनी शर्तों पर व्यापार करे भारत', बोले PM मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन एस महेंद्र देव ने कहा कि भारत को अपने राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि एफटीए पर हस्ताक्षर होने से भारत को निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार समझौता इंडोनेशिया की तरह करने की बात कही है।

PTI नई दिल्ली। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन एस महेंद्र देव ने कहा है कि भारत को राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए अपनी शर्तों पर अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर हस्ताक्षर होने के बाद, भारत को टैरिफ के मामले में अन्य देशों की तुलना में बढ़त हासिल होगी और इससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि भारत का अपनी शर्तों पर और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए देशों के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत करना है। बातचीत जारी है और अंतिम निर्णय दोनों देशों के आपसी हितों पर निर्भर करता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौता उसी तर्ज पर होगा जैसा अमेरिका ने मंगलवार को इंडोनेशिया के साथ किया है। अमेरिका-इंडोनेशिया व्यापार समझौते के तहत, दक्षिण-पूर्व एशियाई देश अमेरिकी उत्पादों को अपने बाजार में पूरी पहुंच प्रदान करेगा जबकि इंडोनेशियाई वस्तुओं पर अमेरिका में 19 प्रतिशत शुल्क लगेगा।
इसके अलावा, इंडोनेशिया ने 15 अरब डालर की अमेरिकी ऊर्जा, 4.5 अरब डालर के अमेरिकी कृषि उत्पाद और 50 बोइंग जेट खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर पांचवें दौर की वार्ता के लिए भारतीय दल वा¨शगटन में है।
कृषि और डेरी उत्पादों पर शुल्क में रियायत की अमेरिकी माँग पर भारत ने अपना रुख कड़ा कर लिया है। नई दिल्ली ने अब तक डेरी क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते में अपने किसी भी व्यापारिक साझेदार को कोई शुल्क रियायत नहीं दी है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को एक विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए मुद्रास्फीति दर थोड़ा अधिक रखना चाहिए।
इस पर उन्होंने कहा, जब मौजूदा ढांचा मुद्रास्फीति और विकास दोनों उद्देश्यों पर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, तो मुद्रास्फीति लक्ष्य बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि आरबीआइ को मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के लिए खाद्य मुद्रास्फीति को छोड़कर, मुख्य मुद्रास्फीति का उपयोग करना चाहिए।
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