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    क्‍या है Living Wage जो ले सकता है न्‍यूनतम वेतन की जगह? पढ़ें पूरी डिटेल्स

    Updated: Wed, 27 Mar 2024 01:20 PM (IST)

    सरकार श्रमिकों की स्थिति को सुधारने के लिए अब  न्यूनतम वेतन (Minimum Wage) की जगह लिविंग वेज (Living Wage) लाने की प्लानिंग कर रही है। सरकार जल्द ही इसमें बदलाव कर सकता है। लिविंग वेज के लिए सरकार अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन से तकनीकी सहायता पर विचार कर रहे हैं। लिविंग वेज भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी होती है जो उसे बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिया जाएगा।

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    Living Wage: वेतन सिस्टम में हो सकता है बदलाव

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वर्तमान में सरकार द्वारा श्रमिक को मिनिमम वेज (Minimum Wage) यानी कि न्यूनतम सैलरी मिलती है। हालांकि, कई कंपनी न्यूनतम सैलरी से बचने के लिए कई उपाय करते हैं। ऐसे में सरकार मिनिमम वेज कानून को सुधारने के लिए अहम कदम उठाने वाली है।

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    कर्मचारियों की मदद के लिए सरकार जल्द ही न्यूनतम वेतन की जगह लिविंग वेज (Living Wage) सिस्टम लाने का विचार कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार सरकार लिविंग वेज के लिए इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) से सहायता ले रहा है।

    अगले वर्ष यानी 2025 तक भारत में लिविंग वेज सिस्टम (Living Wage System) लागू हो सकता है।

    भारत में लगभग 90 फीसदी कर्मचारी असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। इनमें से कई कर्मचारी को मिनिमम वेज नहीं मिलता है। ऐसे में सबको न्यूनतम सैलरी मिले इसके लिए लिविंग वेज सिस्टम लाया जा रहा है।

    आइए जानते हैं कि लिविंग वेज क्या होता है और यह मिनिमम वेज सिस्टम से कितना अलग है?

    मिनिमम वेज सिस्टम क्या है

    वर्तमान में मिनिमम वेज सिस्टम लागू है। इसमें प्रति घंटे की सैलरी कैलकुलेट होती है। इसे आसान शब्दों में समझे तो इसमें रोटी, कपड़ा, मकान को ध्यान दिया जाता है। भारत नें सभी राज्यों में न्यूनतम वेतन अलग है। बता दें कि महाराष्ट्र में यह कर्मचारी को प्रति घंटे 62.87 रुपये और बिहार में 49.37 रुपये है।

    वहीं अमेरिका में कर्मचारी को प्रति घंटे 7.25 डॉलर यानी कि करीब 605.26 रुपये मिलता है।

    देश में असंगठित सेक्टर के कई कर्मचारी को न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता है। इन सेक्टर पर सरकार द्वारा कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती है।  

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    लिविंग वेज सिस्टम क्या है

    लिविंग वेज सिस्टम रोटी-कपड़ा-मकान से आगे बढ़कर है। लिविंग वेज में सरकार कर्मचारी की बुनियादी जरूरतों से ज्यादा होती है। लिविंग वेज सिस्टम में कर्मचारी के साथ उनके परिवार को सामाजिक सुरक्षा के साधन को भी ध्यान रखता है। इसका मतलब है कि लिविंग वेज सिस्टम में कर्मचारी के मूलभूत जरूरतों से ज्यादा जैसे हेल्थ, शिक्षा आदि बातों का भी ध्यान रखा जाता है। 

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