सोलर एनर्जी डिवाइस के निर्माण में चीन को बड़ी चुनौती देगा भारत, सरकार का एक और बड़ा फैसला, जानिए एक्शन प्लान
Solar Energy Sector सौर पीवी मॉड्यूल व सेल्स निर्माण के लिए जरूरी मॉडल व निर्माताओं की स्वीकृत सूची में एक बार फिर संशोधन किया है। यह बदलाव यह नासिर्फ भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा बल्कि घरेलू सौर मैन्यूफैक्च¨रग को बढ़ावा देने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल होगा।

नई दिल्ली। पिछले चार वर्षों से भारत सोलर ऊर्जा परियोजनाओं में इस्तेमाल होने वाले सौर पीवी मॉड्यूल के निर्माण में चीन पर निर्भरता खत्म कर आत्मनिर्भर होने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है। सरकारी डाटा बताता है कि इसमें सफलता मिली है लेकिन चीन निर्मित सौर उपकरणों पर निर्भरता खत्म नहीं हुई है।
अब सोमवार को नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने सोलर फोटोवोल्टिक (पीवी) मॉड्यूल व सेल्स के लिए मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूची (एएलएमएम) में एक बार फिर संशोधन किया है, जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि यह ना सिर्फ भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा बल्कि घरेलू सौर मैन्यूफैक्च¨रग को बढ़ावा देने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल होगा।
2019 में जारी हुआ था आदेश
यह संशोधन एमएनआरई की तरफ से दो जनवरी, वर्ष 2019 को जारी आदेश में किया गया है जिसके तहत सरकार देश में सौर ऊर्जा क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले गुणवत्तापूर्ण उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा दिया जाता है।एएलएमम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सिर्फ वो निर्माता और मॉडल ही सरकारी की रिनीवेबल परियोजनाओं या योजनाओं में उपयोग किए जाएं, जो मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करते हों।
इस बदलाव से क्या फायदा होगा
एमएनआरई ने बताया है कि नये संशोधन का उद्देश्य भारत में सौर पीवी सेल्स और मॉड्यूल के उत्पादन को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करना है। सरकार का कहना है कि यह कदम भारत को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा और आयात पर निर्भरता को कम करेगा। सनद रहे कि भारत ने वर्ष 2024-25 में भारत ने 4.5 अरब के सौर ऊर्जा उपकरणों का आयात किया था।
इसमें 83 फीसद चीन से आया था। ताजे आंकड़ें बताते हैं कि अब चीन से सौर ऊर्जा आयात में कमी आने लगी है। असलियत में घरेलू स्तर पर जितनी तेजी से सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विस्तार हो रहा है, उसकी आपूर्ति घरेलू निर्माण से पूरी होना मुश्किल है। सरकार का मानना है कि एएलएमएम में संशोधन के बाद देश में सौर पीवी मॉड्यूल और सेल्स का निर्माण क्षमता में तेजी से विस्तार होगा।
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