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    कामर्शियल सेटेलाइंट लॉचिंग का हब बनने की राह पर भारत, दुर्गम इलाकों में बेहतर संचार सेवा देना OneWeb का लक्ष्य

    By Jagran NewsEdited By: Krishna Bihari Singh
    Updated: Sun, 23 Oct 2022 08:32 PM (IST)

    इसरो ने श्रीहरिकोटा से अपने सबसे अत्याधुनिक व भारी राकेट एलएमवी3-एम2 के जरिए एक साथ 36 सेटेलाइटों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित करने के साथ ही भारत से भारी कामर्शियल सेटेलाइट लांचिंग बाजार का रास्ता खोल दिया है।

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    भारत में भारी कामर्शियल सेटेलाइट लांचिंग बाजार का रास्ता खुल गया है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तेजी से बढ़ते अंतरराष्ट्रीय सेटेलाइट लांचिंग बाजार में भारत ने बेहद धमाकेदार तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इसरो ने श्रीहरिकोटा से अपने सबसे अत्याधुनिक व भारी राकेट एलएमवी3-एम2 के जरिए एक साथ 36 सेटेलाइटों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर इतिहास रच दिया है। ये सारे सेटेलाइट वनवेब नाम की एक संचार व्यवस्था से जुड़ी कंपनी के हैं, जिसमें भारत की दिग्गज मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी भारती समूह (एयरटेल) की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है।

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    भारी कामर्शियल सेटेलाइट लांचिंग बाजार का रास्ता खुला

    इस उपलब्धि के साथ ही भारत से भारी कामर्शियल सेटेलाइट लांचिंग बाजार का रास्ता खुल गया है। इस सफल प्रक्षेपण के आधार पर वनवेब ने भारत के कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक बेहतरीन संचार सुविधा देने की बात कही है। यह वनवेब का 14वां और इस साल का दूसरा लांच है। इस प्रक्षेपण के साथ ही वनवेब के समूह में उपग्रहों की कुल संख्या 462 हो गई है। यह दुनिया भर में उच्च गति की कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

    दुर्गम इलाकों में बेहतर होगी कनेक्‍ट‍िविटी

    इस लांच के पश्चात वनबेव की अब सिर्फ चार लांचिंग शेष है। कंपनी 2023 तक वैश्विक कवरेज देने का लक्ष्य लेकर चल रही है। कंपनी का कहना है कि वह ना सिर्फ कारोबार जगत के लिए बल्कि दुर्गम इलाकों में स्थित कस्बों, गांवों, नगर पालिकाओं और स्कूलों को भी सुरक्षित कनेक्टिविटी साल्यूशन मुहैया कराएगी। यही नहीं, एलएमवी3 ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक तरह से प्रभुत्व हासिल कर लिया है। इसरो ने इस लांचिंग को ऐतिहासिक करार दिया है।

    दुनिया में तेजी से बढ़ रहा सेटेलाइट लांचिंग बाजार

    दुनिया में सेटेलाइट लांचिंग बाजार तेजी से बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022 में यह बाजार 14 से 15 अरब डालर के बीच है। वर्ष 2028 तक इसके दोगुने हो जाने की संभावना है। जैसे-जैसे दुनिया में आनलाइन गेमिंग, ई-कामर्स, सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभाव बढ़ता जाएगा, सेटेलाइट लांचिंग बाजार में मांग भी बढ़ती जाएगी। आने वाले दिनों में संचार सुविधा के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों की तरफ से ही अपने एक्सक्लूसिव सेटेलाइट लांच किए जाने की संभावना है।

    सेटेलाइट लांचिंग के अंतरराष्ट्रीय बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा

    इसरो को अभी भी दुनिया में सबसे किफायती दर पर सेटेलाइट लांच करने वाली एजेंसी के तौर पर देखा जाता है। कुछ दिन पहले इसरो के चेयरमैन सोमनाथ ने कहा था कि उनकी कोशिश भारत से सेटेलाइट लांचिंग की लागत को और कम करने की है। वैसे सेटेलाइट लांचिंग के अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत ही जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है। अंतरिक्ष कार्पोरेशन लिमिटेड, मित्सुबिशी, स्पेसेक्स, एयरबस, बोइंग, वेक्टर लांच, वर्जिन गैलेक्टिक जैसी दो दर्जन कंपनियां इसमें हैं।  

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