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    कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की तैयारी, मगर आसान नहीं होने वाली राह

    Updated: Fri, 14 Jun 2024 07:51 PM (IST)

    कोयला ब्लाकों के आवंटन के लिए 10वां दौर की नीलामी प्रक्रिया अगले हफ्ते शुरू की जाएगी। इस दौर में कुल 62 कोयला ब्लाकों का आवटन निजी क्षेत्रों को किये जाने की संभावना है। अभी तक नौ दौर में 107 कोयला ब्लाकों का आवंटन हो चुका है। नए कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने देश को कोयला उत्पादन में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने की बात कही है।

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    आवंटित ब्लाकों से कोयला उत्पादन की रफ्तार काफी सुस्त है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के नए कोयला व खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने शुक्रवार को घरेलू कोयला उत्पादन को लेकर पहली समीक्षा बैठक की और देश को कोयला उत्पादन में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरसंभव कदम उठाने की बात कही है। पीएम नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 तक घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ा कर कोयले के आयात को बंद करने का लक्ष्य रखा है।

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    कोयला उत्पादन 110 करोड़ टन करने लक्ष्य

    वैसे अभी तक कोयला उत्पादन का सालाना लक्ष्य शायद ही कभी पूरा किया गया है लेकिन वर्ष 2023-24 में लक्ष्य 100 करोड़ कोयला उत्पादन का था जबकि असलियत में 99.7 करोड़ टन उत्पादन हुआ है जो काफी करीब है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में भी 11 फीसद वृद्धि के साथ 110 करोड़ टन के करीब होने का लक्ष्य रखा गया है। इस चुनौती को देखते हुए ही कोयला व खान मंत्री रेड्डी ने अपनी पहली बैठक में ही निजी क्षेत्र को कोयला ब्लाक आवंटन करने के काम को तेज करने का निर्देश दिया है।

    कोयला मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि कोयला ब्लाकों के आवंटन के लिए 10वां दौर की नीलामी प्रक्रिया अगले हफ्ते शुरू की जाएगी। इस दौर में कुल 62 कोयला ब्लाकों का आवटन निजी क्षेत्रों को किये जाने की संभावना है। अभी तक नौ दौर में 107 कोयला ब्लाकों का आवंटन हो चुका है। इनसे 25.6 करोड़ टन कोयला का उत्पादन सालाना संभव है।

    कोयला उत्पादन की रफ्तार काफी सुस्त

    समस्या यह है कि आवंटित ब्लाकों से कोयला उत्पादन की रफ्तार काफी सुस्त है। आवंटित किये गये ब्लाकों में से सिर्फ 11 में ही कमर्शियल उत्पादन शुरू हो पाया है और इनसे पिछले वित्त वर्ष सिर्फ 1.75 करोड़ टन कोयला निकाला गया है। निजी क्षेत्र से कोयला उत्पादन में तेज वृद्धि किये बगैर कोयला का आयात खत्म नहीं हो सकता। चालू साल में जिस तरह से गर्मी बढ़ी है उसे देखते हुए ताप बिजली संयंत्रों की अहमियत और बढ़ गई है।

    रिन्यूएबल सेक्टर में स्थापित क्षमता 1.75 लाख मेगावाट (कुल स्थापित बिजली क्षमता का 42 फीसद) हो चुका है लेकिन कुल बिजली उत्पादन में ताप बिजली संयंत्रों की हिस्सेदारी 70 फीसद से भी ज्यादा है। अप्रैल-मई, 2024 में बिजली की मांग 13 फीसद ज्यादा बढ़ी है। बिजली आपूर्ति निर्बाध रखने के लिए केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने आयातित कोयले के मिश्रण को अनिवार्य बना दिया है।

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