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    पाकिस्तान को 800 मिलियन डॉलर का लोन क्यों? ADB के फैसले पर भारत सरकार का कड़ा विरोध, जानिए क्या कहा

    भारत सरकार ने एडीबी द्वारा पाकिस्तान को 800 मिलियन डॉलर का लोन देने के फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि पाकिस्तान इस धन का दुरुपयोग कर सकता है संभवतः इसे सेना को मजबूत करने में इस्तेमाल कर सकता है। भारत ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब पाकिस्तान की जीडीपी घट रही है।

    By Mansi Bhandari Edited By: Mansi Bhandari Updated: Wed, 04 Jun 2025 05:07 PM (IST)
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    ADB के लोन पर भारत की चिंता पाकिस्तान द्वारा दुरुपयोग की आशंका

    नई दिल्ली. भारत सरकार ने एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) द्वारा पाकिस्तान को 800 मिलियन डॉलर का लोन देने वाले फैसले का कड़ा विरोध किया है। भारत सरकार का कहना है कि लोन में मिले पैसों का पाकिस्तान दुरुपयोग करेगा और इसका इस्तेमाल सैन्य खर्चों को बढ़ाने के लिए कर सकता है।

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    भारत सरकार ने कहा कि हम एडीबी के इस फैसले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। एडीबी ने ऐसे समय में लोन देने का फैसला किया है, जब पाकिस्तान की जीडीपी घट रही है, लेकिन वह डिफेंस बजट बढ़ाने की तैयारी में है जबकि उसे आर्थिक सुधारों में ध्यान देने की जरूरत है।

    मंगलवार को एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने पाकिस्तान को उधार 800 मिलियन डॉलर देने का फैसला किया है। एडीबी का दावा है कि पाकिस्तान उधार में मिले पैसों का इस्तेमाल राजकोषीय स्थिरता को मजबूत करने और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में सुधार के लिए करेगा।

    इससे पहले, कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखी, जिसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जून को एडीबी के अध्यक्ष मसातो कांडा से मुलाकात की और तीन दिन बाद एडीबी ने पाकिस्तान को 800 मिलियन डाॅलर का ऋण मंजूर कर दिया।

    पीटीआई के सरकारी सूत्रों की मानें तो भारत को उम्मीद है कि एडीबी मैनेजमेंट एडीबी के पैसों को पर्याप्त रूप से सुरक्षित रखेगा, ताकि इस तरह के किसी भी दुरुपयोग को रोका जा सके।

    उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान का पहले से ही खराब रिकॉर्ड रहा है। ये इसलिए हुआ है क्योंकि पड़ोसी देश के आर्थिक मामलों में सेना ने हस्तक्षेप किया है,जिससे नीतिगत चूक हुई और विकास भी धीमी हुई।

    पहले भी अतीत में देखा गया है कि जब नागरिक सरकार सत्ता में होती है, तब भी सेना घरेलू राजनीति में बड़ी भूमिका निभाती रहती है और अर्थव्यवस्था में अपनी पैठ बना लेती है।