Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देश का चीनी उत्पादन अक्टूबर-जनवरी में 5.64 प्रतिशत बढ़कर 1.87 करोड़ टन पर

    By NiteshEdited By:
    Updated: Thu, 03 Feb 2022 06:00 PM (IST)

    चालू मार्केटिंग वर्ष में जनवरी तक गुजरात में चीनी का उत्पादन 575000 टन और तमिलनाडु में 288000 टन तक पहुंच गया। इस्मा ने एक बयान में कहा कि शेष राज्यों ने सामूहिक रूप से समीक्षाधीन अवधि में 16.4 लाख टन चीनी का उत्पादन किया।

    Hero Image
    sugar production in india- देश का चीनी उत्पादन बढ़ा

    नई दिल्ली, पीटीआइ। चालू मार्केटिंग वर्ष 2021-22 की अक्टूबर-जनवरी की अवधि के दौरान देश का चीनी उत्पादन साल भर पहले की समान अवधि के मुकाबले 5.64 प्रतिशत बढ़कर 1.87 करोड़ टन होने का अनुमान है। उद्योग निकाय इस्मा ने गुरुवार को यह जानकारी दी। चीनी मिलों ने पिछले मार्केटिंग वर्ष 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) की इसी अवधि में 1.77 करोड़ टन चीनी का उत्पादन किया था। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के अनुसार, उत्तर प्रदेश (देश का शीर्ष चीनी उत्पादक राज्य) में चीनी उत्पादन इस मार्केटिंग वर्ष की अक्टूबर-जनवरी की अवधि के दौरान कम यानी 50.3 लाख टन रहा, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 54.4 लाख टन रहा था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हालांकि, देश के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 63.8 लाख टन से बढ़कर 72.9 लाख टन हो गया। देश के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य, कर्नाटक में उक्त अवधि में चीनी उत्पादन 34.5 लाख टन से बढ़कर 38.7 लाख टन हो गया। चालू मार्केटिंग वर्ष में जनवरी तक गुजरात में चीनी का उत्पादन 5,75,000 टन और तमिलनाडु में 2,88,000 टन तक पहुंच गया। इस्मा ने एक बयान में कहा कि शेष राज्यों ने सामूहिक रूप से समीक्षाधीन अवधि में 16.4 लाख टन चीनी का उत्पादन किया।

    उद्योग निकाय ने चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान में चीनी उद्योग के लिए आवंटन बढ़ाकर 6,844 करोड़ रुपये करने के कदम का स्वागत किया है। पहले यह 4,337 करोड़ रुपये था। इस्मा का कहना है कि यह गन्ने के भुगतान का निपटान करने की दिशा में सकारात्मक कदम है। इस्मा ने कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए बजट आवंटन में 300 करोड़ रुपये की वृद्धि (एथनॉल उत्पादन क्षमता में वृद्धि के मकसद से चीनी मिलों को वित्तीय सहायता देने के लिए) एथनॉल सम्मिश्रण के लिए एथनॉल आपूर्ति को बढ़ावा देगी और देश के तेल आयात के मद में होने वाले खर्चे को कम करेगी।