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    महंगी LNG ने ठप कर दिए 25000 MW के गैस प्लांट, चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 07:43 PM (IST)

    भारत में प्राकृतिक गैस की खपत में कमी आई है, जो अर्थव्यवस्था में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने के लक्ष्य के विपरीत है। क्रिसिल रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल-अक ...और पढ़ें

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    देश में तकरीबन 25 हजार मेगावाट क्षमता की गैस आधारित बिजली संयंत्र तैयार होने के बावजूद गैस नहीं होने की वजह से नहीं चल पाते हैं। (प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में प्राकृतिक गैस की खपत में इस वर्ष में अब तक कमी दर्ज की गई है, जो देश की अर्थव्यवस्था में गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा सात प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने के लक्ष्य के अनुकूल नहीं है। क्रिसिल की तरफ से सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल से अक्टूबर 2025 तक भारत में प्राकृतिक गैस की औसत खपत करीब 190 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन (MMSCMD) रही है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 200 MMSCMD से 4.6 प्रतिशत कम है।

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    हालांकि सरकार की एजेंसी पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में गैस की खपत में 8.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, रिपोर्ट यह भी कहती है कि हो सकता है कि यह गिरावट स्थाई ना हो लेकिन यह साफ तौर पर बता रहा है कि देश में गैस की खपत बढ़ाने की योजना सही तरीके से आगे नहीं बढ़ पा रही है।

    क्रिसिल की रिपोर्ट बताती है कि स्पाट एलएनजी कीमतों में उछाल एक बड़ा कारण है। चालू वित्त वर्ष के दौरान इसकी कीमत औसतन 13 डालर प्रति एमएमबीटीयू (मिलियन मैट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट: गैस मापने का मापक) रही है, जो पिछले साल के मुकाबले 34 प्रतिशत ज्यादा है। इसका सबसे ज्यादा असर प्राकृतिक गैस आधारित बिजली संयंत्रों पर पड़ा है।

    देश में तकरीबन 25 हजार मेगावाट क्षमता की गैस आधारित बिजली संयंत्र तैयार होने के बावजूद गैस नहीं होने की वजह से नहीं चल पाते हैं। इनमें से कुछ संयंत्र जब विदेशों में गैस सस्ती होती है तो उसे खरीदते हैं और इन संयंत्रों को चलाते हैं। हालांकि, जब कीमत 13 डालर प्रति एमएमबीटीयू हो तो इसे आयात कर भारत लाना और इससे तैयार कर बिजली बनाना फायदेमंद नहीं होता। इतनी महंगी बिजली कोई नहीं खरीदता। ऐसे में ये संयंत्रों को चलाने वाली कंपनियां महंगी गैस नहीं खरीदती।

    समय से पहले मानसून आने को दिखा असर यह पूरा परि²श्य केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के विपरीत है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश की कुल ऊर्जा खपत में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 6-7 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया जाए।

    रिपोर्ट के मुताबिक समय से पहले मानसून आने से गर्मी में कू¨लग की जरूरत घटी। हालांकि, सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) सेक्टर में मजबूती दिखी है। इस सेक्टर में गैस की खपत सालाना आधार पर 8.8 प्रतिशत बढ़कर 44 MMSCMD हो गई है। देश में जितनी गैस की खपत होती है उसका 23 प्रतिशत सीजीडी में ही हो रही है। यह आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि दश में सीएनजी स्टेशों के साथ ही घरेलू पीएनजी कनेक्शनों में भी तेजी से विस्तार हो रहा है।

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