Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चीन से विस्थापित 600 विदेशी कंपनियों को लुभाने की तैयारी, भारत को फिनिश्ड प्रोडक्ट्स का वैश्विक हब बनाना है लक्ष्य

    By Ankit KumarEdited By:
    Updated: Thu, 28 May 2020 09:21 AM (IST)

    केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि कोविड-19 ने अगर चुनौतियां दी हैं तो कई तरह के अवसर भी मिलने के संकेत दिए हैं।

    चीन से विस्थापित 600 विदेशी कंपनियों को लुभाने की तैयारी, भारत को फिनिश्ड प्रोडक्ट्स का वैश्विक हब बनाना है लक्ष्य

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोविड-19 के बाद चीन से विमुख विदेशी कंपनियों को भारत लाने की तैयारी अब ज्यादा ठोस रूप लेने लगी है। केंद्र सरकार ने चीन में काम करने वाली 600 ऐसी कंपनियों से संपर्क साधा है जो वहां से अपना बोरिया विस्तर समेट कर किसी दूसरे देश में निर्माण स्थल लगाने पर विचार कर रही है। इस योजना को अंजाम पर पहुंचाने के लिए केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने राज्यों से भी संपर्क साधा है। जो राज्य सबसे किफायती स्तर पर व कम समय में प्लांट लगाने की सहूलियत देंगी उनके यहां विदेशी कंपनियों को जाने की छूट मिलेगी। राज्यों को भी अलग से प्रोत्साहन दिया जाएगा। ये तमाम जानकारी वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दैनिक जागरण इ-राउंडटेबल कार्यक्रम में साझा की।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गोयल ने बताया कि हमारा मकसद यह है कि भारत को अब फिनिश्ड उत्पादों का एक विश्वस्तरीय हब बनाया जाए। कच्चे माल की आपूर्ति के लिए उन देशों से संपर्क साधा जा रहा है जहां इसकी बहुतायत है। फिलहाल 12 प्रकार के फिनिश्ड उत्पादों का विश्व सप्लायर बनने की तैयारी चल रही है। इसमें आटो पार्ट्स, लेदर व लेदर शूज, टेक्सटाइल्स, फूड प्रोसेसिंग, इलेक्ट्रोनिक्स, अल्यूमिनियम, लौह-इस्पात, पीपीई जैसे आवश्यक वस्तुएं, रसायन आदि शामिल हैं।

    गोयल ने बताया कि कोविड-19 ने अगर चुनौतियां दी हैं तो कई तरह के अवसर भी मिलने के संकेत दिए हैं। इस बारे में सरकार उद्योग जगत के साथ मिल कर आगे की रणनीति बना रही है। अलग-अलग उद्योगों के लिए अलग -अलग रणनीति बनाई जाएगी। फर्नीचर सेक्टर का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि अभी हम फर्नीचर का आयात करते हैं। हमारे यहां टिंबर की कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए फॉरेस्ट पॉलिसी पर काम किया जा रहा है ताकि किस तरह से देश में कमर्शियल मकसद से जंगल लगाया जा सके।

    गोयल ने बताया कि विदेशी कंपनियों को भारत लाने में राज्यों की भूमिका सबसे अहम होगी। सरकार की कोशिश ऐसी है कि राज्यों के बीच विदेशी कंपनियों को बुलाने के लिए आपस में ही प्रतिस्पर्धा हो। अभी विदेशी कंपनियों को यूनिट लगाने में मुख्य रूप से जमीन लेने व स्थानीय स्तर पर मंजूरी लेने में सबसे अधिक समस्या आती है। राज्यों को तैयार किया जा रहा है कि वे जमीन उपलब्ध कराने पर सबसे ज्यादा ध्यान दे। विदेशी कंपनियों के मन में भारत में जमीन अधिग्रहण को लेकर काफी भ्रम है जिसे दूर किया जाना जरुरी है।

    स्वदेशी का मतलब अपना बाजार बंद करना नहीं

    दैनिक जागरण के कार्यक्रम में गोयल ने बताया कि स्वदेशी का मतलब दुनिया से कटना नहीं है। ना ही विदेशी कंपनियों के लिए अपने दरवाजे बंद करना है। विदेशी का मतलब आत्मविश्वास से भरा आत्मनिर्भर भारत से है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर के जो नारे दिए जा रहे हैं उसका अभिप्राय यह नहीं है कि हम दुनिया से कट गए हैं या हम विदेशी कंपनियों को अपने यहां नहीं बुला रहे हैं। भारत में काफी क्षमता हैं और हमारा उद्योग जगत भी विदेशी प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने में सक्षम है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कुछ माह पहले तक हमारे देश में पीपीइ नहीं बनते थे, हमने इसे बनाना सीखा और आज हमारे यहां पीपीइ की कोई कमी नहीं है।