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IMF में भारत का कोटा नहीं बढ़ने पर सीतारमण ने जताई निराशा, बोलीं- आगे बढ़ने की उम्मीद

हालांकि उन्होंने इसे तात्कालिक झटका बताया और कहा कि हमें उम्मीद है कि समीक्षा के अगले दौर की चर्चा में कोटा बढ़ाने में सफलता मिलेगी।

By NiteshEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 03:00 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 08:14 AM (IST)
IMF में भारत का कोटा नहीं बढ़ने पर सीतारमण ने जताई निराशा, बोलीं- आगे बढ़ने की उम्मीद
IMF में भारत का कोटा नहीं बढ़ने पर सीतारमण ने जताई निराशा, बोलीं- आगे बढ़ने की उम्मीद

नई दिल्ली, पीटीआइ। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से भारत का कोटा नहीं बढ़ने से वित्त्र मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को निराशा व्यक्त की। उन्होंने आईएमएफ की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए कहा, '15वीं आम समीक्षा के तहत कोटा नहीं बढ़ाने से और पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने से हम निराश हैं।' हालांकि उन्होंने इसे तात्कालिक झटका बताया और कहा कि हमें उम्मीद है कि समीक्षा के अगले दौर की चर्चा में कोटा बढ़ाने में सफलता मिलेगी।

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क्या है कोटा और कैसे होता है इसका वितरण

बता दें कि आईएमएफ का कोटा कोष का मुख्य सोर्स है। कोटा को चार सूत्रीय विधि से बांटा जाता है। इसमें जो देश सदस्य के तौर पर शामिल होते हैं उनकी जीडीपी, आर्थिक खुलापन, आर्थिक विविधता और अंतरराष्ट्रीय भंडार को देखा जाता है। आईएमएफ के सदस्य देश को कोटा मिलने से उसकी वोटिंग पावर आदि तय होती है साथ ही अधिकतम वित्तीय समर्थन की उम्मीद बढ़ जाती है। आईएमएफ में शामिल होने वाले देश को उसके समकक्ष वाले आर्थिक आकार और विशेषताओं वाले अन्य सदस्यों देश को मिले कोटे के आसपास शुरुआती कोटा दिया जाता है। हर 5 साल बाद इसकी समीक्षा की जाती है।

अभी कितना है भारत का कोटा

फिलहाल आईएमएफ में भारत का कोटा 2.76 फीसद है। अमेरिका का कोटा सबसे ज्यादा 17.46 फीसद है, जबकि चीन का कोटा फीसद है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता को लेकर कहा है कि दोनों देशों के बीच बातचीत पूरी गति से चल रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही समझौता हो जाएगा। सीतारमण ने कहा, कि मैंने वित्त मंत्री म्यूचिन के सामने इस बारे ने चर्चा की, लेकिन इस मुद्दे पर भारत के वाणिज्य मंत्री और अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर चर्चा कर रहे हैं। मेरी जानकारी के मुताबिक बातचीत अच्छे से चल रही है और उम्मीद है कि जल्दी ही समझौता हो जाएगा।


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