स्थिर है भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार, Crisil ने लगाया 6 प्रतिशत GDP ग्रोथ का अनुमान
Indian Economy Growth Rate 2023 आने वाले वित्तीय वर्ष में भारत की GDP धीमी रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है। अनुमान है कि GDP ग्रोथ 6 फीसद रहने वाली है। वहीं पांच वित्तीय वर्षों में 6.8 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर वाली अर्थव्यवस्था का अनुमान भी है। (फाइल फोटो)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक बड़ा बयान जारी किया है। क्रिसिल ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर छह प्रतिशत रहने की संभावना है। इसके अलावा, क्रिसिल ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में कॉर्पोरेट राजस्व में फिर से दोहरे अंकों में वृद्धि होगी। इस हिसाब से अगले वित्त वर्ष के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि कमजोर दिख रही है।
क्या कहते हैं आंकड़ें
एजेंसी अगले पांच वित्तीय वर्षों में 6.8 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर वाली अर्थव्यवस्था का अनुमान लगाया है। क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने अपने वार्षिक विकास पूर्वानुमान में कहा कि भू-राजनीतिक घटनाओं की एक जटिल क्रिया, अत्यधिक उच्च मुद्रास्फीति और इसका मुकाबला करने के लिए तेज दरों में बढ़ोतरी ने वैश्विक वातावरण को और अधिक निराशाजनक बना दिया है।
बता दें कि वित्त वर्ष 2023 की वर्तमान तिमाही में 4.5 प्रतिशत से अधिक वृद्धि देखी गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) ने चालू वित्त वर्ष के लिए 7 प्रतिशत की वृद्धि पर विचार किया था। इस तरह यह बढ़त की उम्मीद है।
कम हो सकती कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमत
रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च-आधार के प्रभाव से कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों में कुछ नरमी आने की उम्मीद है। साथ ही, उपभोक्ता मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2023 में 6.8 प्रतिशत से औसतन वित्त वर्ष 2024 में औसतन 5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। वहीं, रबी की अच्छी फसल से खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिल सकती है।
GDP बढ़ने की उम्मीद
एजेंसी के प्रबंध निदेशक अमीश मेहता ने कहा कि देश की मध्यम अवधि की विकास संभावनाएं हैं। अगले पांच वित्तीय वर्षों में उम्मीद है कि जीडीपी सालाना 6.8 फीसदी की दर से बढ़ेगी, जबकि अगले वित्त वर्ष में पूंजी और उत्पादकता में वृद्धि के कारण 6 फीसदी की वृद्धि होगी।कैपेक्स में भी स्थिरता बढ़ने से आगे विकास की उम्मीद है। वर्तमान में, लगभग 9 प्रतिशत बुनियादी ढांचा और औद्योगिक पूंजीगत खर्च हो रहे हैं। इस कारण इस वित्तीय वर्ष तक इस संख्या को 15 प्रतिशत तक बढ़ाने की उम्मीद है।