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    India's Digital Currency: कब आएगी भारतीय डिजिटल करेंसी? सरकारी सूत्र ने दी जानकारी

    By Lakshya KumarEdited By:
    Updated: Mon, 07 Feb 2022 07:20 AM (IST)

    एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने समाचार एजेंसी पीटीआइ को जानकारी दी है कि भारत की अपनी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा (Indias Digital Currency) अगले साल यानी 2023 की ...और पढ़ें

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    India's Digital Currency: कब आएगी भारतीय डिजिटल करेंसी? सरकारी सूत्र ने दी जानकारी

    नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत की अपनी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा (India's Digital Currency) 2023 की शुरुआत में शुरू होने की संभावना है। यह मौजूदा समय में उपलब्ध किसी निजी कंपनी द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट जैसी ही होगी, लेकिन इसके साथ ‘सरकारी गारंटी’ जुड़ी होगी। एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने यह जानकारी दी है। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने एक फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए कहा था कि जल्द केंद्रीय बैंक के समर्थन वाला ‘डिजिटल रुपया’ पेश किया जाएगा।

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    सूत्र ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा जारी डिजिटल करेंसी भी भारतीय करेंसी की तरह विशिष्ट अंक पर आधारित होगी। यह भारतीय करेंसी से भिन्न नहीं होगी। यह बस उसका डिजिटल रूप होगी। एक प्रकार से कह सकते हैं कि यह सरकारी गारंटी वाला डिजिटल वॉलेट होगा। डिजिटल मुद्रा के रूप में जारी इकाइयों को चलन में मौजूद मुद्रा में शामिल किया जाएगा। सूत्र ने कहा कि आरबीआई ने संकेत दिया है कि डिजिटल रुपया अगले वित्तीय वर्ष के अंत तक तैयार हो जाएगा।

    रिजर्व बैंक द्वारा विकसित डिजिटल रुपया ब्लॉकचैन सभी तरह के लेनदेन का पता लगाने में सक्षम होगा। निजी कंपनियों के मोबाइल वॉलेट में फिलहाल यह प्रणाली नहीं है। सूत्र ने इसे समझाते हुए कहा कि निजी कंपनियों के इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट का इस्तेमाल करते हुए लोग अभी पैसा निजी कंपनियों को हस्तांतरित करते हैं। यह पैसा उनके पास रहता है और ये कंपनियां किसी लेनदेन पर ग्राहकों की ओर से मर्चेंट यानी दुकानदारों आदि को भुगतान करती हैं।

    सूत्र ने कहा, "डिजिटल रुपये के मामले में नोट रखने के बजाय आप अपने फोन में एक डिजिटल मुद्रा रखेंगे और यह केंद्रीय बैंक के पास होगी और वहां से इसे किसी भी व्यापारी को स्थानांतरित कर दिया जाएगा। यह पूरी तरह से सरकार द्वारा समर्थित है।"

    सूत्र ने कहा कि जब पैसा किसी कंपनी के ई-वॉलेट में स्थानांतरित किया जाता है, तो उस कंपनी का ‘क्रेडिट’ जोखिम भी इस पैसे से जुड़ा होता है। इसके अलावा ये कंपनियां शुल्क भी लगाती हैं।

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