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'मोदी केयर' हेल्‍थ इंश्‍योरेंस स्‍कीम में प्राइवेट अस्पतालों की भागीदारी बढ़ाएगी सरकार

मोदी केयर नाम से प्रसिद्ध इस योजना के तहत एक साल में पांच लाख रुपये तक की चिकित्सा सुविधा मुफ्त उपलब्ध कराई जाती है। (Pic Pexels.com)

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 06:30 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 08:34 AM (IST)
'मोदी केयर' हेल्‍थ इंश्‍योरेंस स्‍कीम में प्राइवेट अस्पतालों की भागीदारी बढ़ाएगी सरकार
'मोदी केयर' हेल्‍थ इंश्‍योरेंस स्‍कीम में प्राइवेट अस्पतालों की भागीदारी बढ़ाएगी सरकार

रॉयटर्स, नई दिल्ली। स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम में ज्यादा निजी अस्पतालों को शामिल करने के लिए भारत सरकार उन्हें प्रोत्साहन राशि देने पर विचार कर रही है। देश की स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार लाने के लिए पिछले साल नरेंद्र मोदी सरकार ने यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया था। भारत में जहां निजी स्वास्थ्य सुविधा कुछ लोगों के लिए बहुत महंगी है, वहीं सरकारी अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ रहती है। 'मोदी केयर' नाम से प्रसिद्ध इस योजना के तहत एक साल में पांच लाख रुपये तक की चिकित्सा सुविधा मुफ्त उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन, यह योजना अब तक रफ्तार पकड़ने में नाकाम रही है। 

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के सीईओ इंदु भूषण के मुताबिक, कार्यक्रम के दायरे में आने वाले पांच करोड़ लोगों में अब तक 20 फीसद ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया है। इसकी वजह जागरूकता में कमी और निजी अस्पतालों की कम भागीदारी है। भूषण ने बताया कि लोगों को योजना के प्रति जागरूक करना और बुनियादी ढांचा तैयार करना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए समय देना होगा। इस कार्यक्रम के तहत अब तक 60 लाख लोगों को मुफ्त चिकित्सा दी जा चुकी है। 

भूषण ने कहा कि इस योजना के तहत निबंधित अस्पतालों में लगभग 60 फीसद निजी क्षेत्र के हैं। इस योजना की सफलता में निजी क्षेत्रों की भागीदारी बढ़ाना बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि, निजी अस्पताल इलाज पर आने वाले खर्च को लेकर चिंतित हैं। इसी साल अगस्त में फिक्की और ईवाई की रिपोर्ट में कहा गया था कि भुगतान को लेकर निजी अस्पतालों को आपत्ति है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा जो भुगतान किया जाता है, वह उनके खर्च का महज 40-80 फीसद है। 

इधर, भूषण का कहना है कि उनकी एजेंसी अस्पतालों, औद्योगिक समूहों और सेवा प्रदाताओं से बातचीत कर रही है और इलाज दरों का फिर से निर्धारण करने के लिए तैयार है। पिछले महीने ही कुछ इलाजों के लिए अस्पतालों को ज्यादा भुगतान किया गया था। हमें उम्मीद है कि निजी क्षेत्र आगे आएगा। यदि दरें व्यावहारिक नहीं होंगी, तो निजी क्षेत्र आगे नहीं आएगा। भूषण ने कहा कि अगले एक साल में देशभर में लोग इस योजना से परिचित हो जाएंगे। सरकारी सूत्रों ने बताया कि कार्यक्रम के सुचारु संचालन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण अगले साल आठ हजार करोड़ रुपये की भुगतान कर सकता है, जो इस साल के बजट से 30 फीसद ज्यादा है।


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