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    वैश्विक पटल बढ़ेगा भारत का दबदबा! GVC में इंडिया की हिस्सेदारी बढ़ाने की कवायद तेज; नए रोजगार मिलने की संभावना

    Updated: Sun, 23 Mar 2025 07:55 PM (IST)

    भारत की वैश्विक मूल्य श्रृंखला (GVC) में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए नीति आयोग ने मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की सिफारिश की है। मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स केमिकल और ऑटोमोटिव सेक्टर पर ध्यान दिया जा रहा है। सरकार 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स कारोबार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रख रही है जिससे 55-60 लाख नौकरियां निकलेंगी। इस पहल से भारत का वैश्विक व्यापार में प्रभाव बढ़ेगा।

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    भारत की मैन्युफैक्चरिंग वृद्धि से वैश्विक व्यापार में बढ़ेगा योगदान। (फोटो सोर्स- पीक्साबे)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इन दिनों वैश्विक वैल्यू चेन (जीवीसी) में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। अभी वैश्विक वैल्यू चेन में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 3.3 प्रतिशत है। मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ाकर ही भारत जीवीसी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकता है। जीवीसी में भारत की हिस्सेदारी बढ़ने से वैश्विक पटल पर भारत का दबदबा बढ़ेगा।

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    मैन्यूफैक्चरिंग में बढ़ोतरी होगी और नए रोजगार निकलेंगे। वैल्यू चेन में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए नीति आयोग ने सरकार से मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल्स और आटोमोटिव सेक्टर पर फोकस करने की सिफारिश की है। इन तीन सेक्टर में भारत लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, इसलिए इनमें जीवीसी में अहम हिस्सेदार बनने की पूरी गुंजाइश है।

    नीति आयोग ने कई सेक्टर्स में फोकस करने की दी सलाह

    वैसे, नीति आयोग ने मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ाने और जीवीसी में अहम हिस्सेदार बनने के लिए इन तीन सेक्टर के अलावा 10 अन्य सेक्टर पर भी फोकस करने की सलाह दी है। इनमें सुरक्षा व ड्रोन, टेक्सटाइल, सोलर पीवी, कैपिटल गुड्स, स्टील, फूड प्रोसेसिंग, लेदर व फुटवियर, फार्मास्युटिकल्स, टेलीकम उपकरण और एयरक्राफ्ट मैन्यूफैक्चरिंग शामिल हैं। फिलहाल भारत के जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत है। वैश्विक सप्लाई चेन में मुख्य रूप से चीन, अमेरिका, जापान, जर्मनी और दक्षिण कोरिया जैसे देशों का दबदबा है।

    नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक केमिकल्स और ऑटोमोटिव दोनों ही भारत के जीडीपी में सात-सात प्रतिशत का योगदान देते है, लेकिन वैश्विक स्तर पर ऑटोमोटिव निर्यात में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ तीन प्रतिशत की है। इस हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए आयोग ने इंजन, इंजन कंपोनेंट्स, ड्राइव ट्रांसमिशन, स्टीरियरिंग कंपोनेंट्स, कूलिंग सिस्टम, सस्पेंशन, बार्किंग सिस्टम, चेसिस बनाने की सिफारिश की है। इन इन आइटम का काफी कम मैन्यूफैक्चरिंग होता है।

    इलेक्ट्रॉनिक्स के कारोबार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का टारगेट

    • वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने सिर्फ ऑटो कंपोनेंट्स का 7.70 अरब डॉलर का निर्यात किया था।
    • भारत मुख्य रूप से अमेरिका, टर्की, जर्मनी, मैक्सिको व ब्राजील को ऑटो कंपोनेंट्स का निर्यात करता है।
    • केमिकल्स के कारोबार में भारत 80,000 से अधिक उत्पाद बनाने के साथ उद्योग जगत को विभिन्न प्रकार के कच्चे माल भी मुहैया कराता है।
    • 20 लाख से अधिक लोग केमिकल्स के सेक्टर में काम करते हैं और इसके विस्तार से रोजगार को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

    जीवीसी में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए वर्ष 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स के कारोबार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें 200-225 अरब डॉलर का निर्यात शामिल होगा। इस लक्ष्य को हासिल करने पर 55-60 लाख नए रोजगार निकलने की संभावना है।

    500 अरब डॉलर के कारोबार में 350 अरब डॉलर का तैयार उत्पाद तो 150 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स होंगे। नीति आयोग की सिफारिश पर इन दिनों सरकार सभी 13 सेक्टर में नीतिगत मदद के साथ अनुसंधान व विकास पर भी पूरा ध्यान दे रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्रोन, रक्षा जैसे सेक्टर में नए-नए उत्पाद विकसित करने के लिए लगातार हैकथॉन करा रही है।

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