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    बुजुर्गों के लिए बढ़ रही आवासीय मांग, 2030 तक 64 हजार करोड़ का हो जाएगा कारोबार

    Updated: Fri, 15 Nov 2024 12:56 PM (IST)

    भारत में 60 साल से अधिक आयु के 15 करोड़ से अधिक लोग है जिनकी संख्या साल 2050 तक बढ़कर 34 करोड़ हो जाएगी। शहर में रहने वाले 26.7 प्रतिशत बुजुर्ग या तो अकेले या फिर अपने जीवनसाथी के साथ रहते हैं। ऐसे में वरिष्ठ लोगों की जरूरतों की पूर्ति के लिए कारोबार का एक पूरा इको सिस्टम तैयार हो रहा है।

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    30 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग ऐसी बीमारियों से पीड़ित होते है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बुजुर्गों को ध्यान में रखकर बनाई जाने वाली आवासीय यूनिट का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। भारत में 2030 तक हर साल इस कारोबार में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है। गुरुवार को एसोसिएशन ऑफ सीनियर लिविंग इंडिया और रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ी वैश्विक निवेशक कंपनी जेएलएल की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक अभी देश में बुजुर्गों की जरूरतों को ध्यान में रखकर 20,000 आवासीय यूनिट बनाई जा चुकी है।

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    बुजुर्गों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 2030 तक इस प्रकार की 23 लाख यूनिट की आवश्यकता होगी। बुजुर्गों की इस खास आवासीय यूनिट निर्माण का कारोबार 2030 तक 64,000 करोड़ का हो जाएगा, जबकि अभी यह कारोबार 15,500 करोड़ का है। ये आवासीय यूनिट ओल्ड एज होम से अलग होती हैं, जो बुजुर्ग दंपती की अलग-अलग जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है, ताकि वे अपने जीवनसाथी या फिर अकेले भी आसानी से जिंदगी गुजार सके।

    जेएलएल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री समंतक दास के मुताबिक वित्तीय रूप से सुरक्षित बुजुर्ग अपने रिटायरमेंट को अलग तरीके से परिभाषित कर रहे हैं। वे स्वतंत्र है, वैश्विक रूप से जागरूक हैं और सामाजिक रूप से सक्रिय हैं। इसलिए अगले छह सालों में इस प्रकार की आवासीय यूनिट की मांग दोगुनी होने की पूरी संभावना है।

    भारत में 60 साल से अधिक आयु के 15 करोड़ से अधिक लोग है, जिनकी संख्या साल 2050 तक बढ़कर 34 करोड़ हो जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, शहर में रहने वाले 26.7 प्रतिशत बुजुर्ग या तो अकेले या फिर अपने जीवनसाथी के साथ रहते हैं। ऐसे में वरिष्ठ लोगों की जरूरतों की पूर्ति के लिए कारोबार का एक पूरा इको सिस्टम तैयार हो रहा है।

    इस कारोबार को सिल्वर इकोनॉमी के नाम से भी जानते हैं। अभी भारत में सिल्वर इकोनॉमी 11.5 अरब डॉलर का है, जो अगले पांच साल में 18 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। सिल्वर इकोनॉमी में बुजुर्गों के आवास से लेकर उनके इलाज, मनोरंजन, देखभाल व अन्य जरूरतों से जुड़े सभी प्रकार के कारोबार शामिल हैं।

    30 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग ऐसी बीमारियों से पीड़ित होते है, जिनकी वजह से उन्हें रोजाना किसी न किसी की सहायता की जरूरत होती है। इस संभावना को देखते हुए कई स्टार्टअप्स भी सिल्वर इकोनॉमी से जुड़े कारोबार में अपना हाथ आजमा रहे हैं और उन्हें कैपिटल वेंचर से फंड भी मिल रहा है।

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