Income tax ने दी चेतावनी, विदेशी संपत्ति छुपाने के लिए लगेगा भारी जुर्माना, बचने के लिए करें ये काम
इनकम टैक्स विभाग ने कुछ ऐसे मामलों की जांच की है। जिसमें टैक्सपेयर्स ने आईटीआर रिटर्न फाइल करते वक्त विदेशी परिसंपत्तियों को शामिल नहीं किया। ऐसे टैक्सपेयर्स को विभाग द्वारा नोटिस भेजा जाएगा। अगर टैक्सपेयर्स दंडात्मक कार्रवाई से बचाव चाहते हैं, तो वे आर्टिकल में बताया गया काम करें।
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Income tax ने दी चेतावनी, विदेशी संपत्ति छुपाने के लिए लगेगा भारी जुर्माना, बचने के लिए करें ये काम
पीटीआई,नई दिल्ली। आयकर विभाग ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने ऐसे अधिक-जोखिम वाले मामलों को चिह्नित किया है जिनमें करदाताओं ने मूल्यांकन वर्ष 2025-26 के आयकर रिटर्न में अपनी विदेशी परिसंपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया है। विभाग ने कहा कि 28 नवंबर से इन करदाताओं को एसएमएस एवं ईमेल भेजा जाएगा और उन्हें दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए 31 दिसंबर, 2025 तक संशोधित आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की सलाह दी जाएगी।
पिछले साल भी आयकर विभाग ने स्वचालित सूचना आदान-प्रदान (एईओआई) व्यवस्था के तहत विदेशी क्षेत्राधिकारों द्वारा सूचित ऐसे करदाताओं को संदेश भेजे थे, जिन्होंने अपने विदेशी निवेश और खातों का विवरण आईटीआर में नहीं दिया था। इस पहल का परिणाम यह हुआ कि कुल 24,678 करदाताओं ने अपने रिटर्न में संशोधन किया था और 29,208 करोड़ की विदेशी परिसंपत्तियों एवं 1,089.88 करोड़ रुपये की विदेशी आय का खुलासा किया था।
विभाग ने एक बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए एईओआई जानकारी के विश्लेषण से ऐसे कई मामलों का पता चला है जिनमें विदेशी संपत्तियां होने की संभावना है लेकिन इस साल के रिटर्न में उनका ब्योरा नहीं दिया गया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को भारतीय निवासियों की विदेशी वित्तीय संपत्तियों की जानकारी सूचना-साझाकरण प्रणालियों- कॉमन रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड (सीआरएस) और अमेरिकी विदेशी खाता कर अनुपाल अधिनियम के तहत मिलती है।
यह सूचना रिटर्न में संभावित त्रुटियों को पहचानने और करदाताओं को सही अनुपालन के लिए मार्गदर्शन करने में सहायक होती है। इस अभियान का उद्देश्य आईटीआर में विदेशी परिसंपत्तियों (एफए) और विदेशी स्रोत से आय (एफएसआई) खंडों के तहत सही और पूर्ण विवरण सुनिश्चित करना है। विदेशी संपत्तियों एवं विदेशी स्रोत से आय का सही खुलासा आयकर अधिनियम, 1961 और काला धन अधिनियम, 2015 के तहत कानूनी रूप से अनिवार्य है।
(पीटीआई इनपुट के साथ)

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