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    Property Tax: आपके पास भी है पूर्वजों की संपत्ति, जानें आपको कब-कब देना होगा टैक्स

    By Priyanka KumariEdited By: Priyanka Kumari
    Updated: Thu, 20 Jul 2023 09:30 AM (IST)

    Inheritance Tax On Property अगर आपके पास भी पूर्वजों की संपत्ति है तो आपके लिए ये खबर बेहद जरूरी है। इस साल आईटीआर फाइल करने की तारीख अब नजदीक आ रही है। अगर आपने अभी तक आईटीआर फाइल नहीं किया है तो आपको ये काम जल्द से जल्द कर लेना चाहिए। क्या आपको भी अपने विरासत की संपत्ति पर टैक्स देना होगा? (जागरण फाइल फोटो)

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    Property Tax: आपके पास भी है पूर्वजों की संपत्ति

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Property Tax Rules: हमें हमारी विरासत से जो भी संपत्ति मिलती है वो हमारे लिए कितनी जरूरी होती है ये सब हमें पता है। अगर आपको पता चलेगा कि आपको भी विरासत की संपत्ति पर टैक्स को चुकाना होगा? इस साल टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी डेट 31 जुलाई 2023 तय की गई है। आइए जानते हैं कि आपको भी विरासत की संपत्ति पर टैक्स का भुगतान करना होगा या नहीं।

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    विरासत की संपत्ति पर लगता है टैक्स?

    विरासत टैक्स मृतक द्वारा अपने कानूनी उत्तराधिकारियों के लिए छोड़ी गई किसी भी संपत्ति पर लगाया जाता है। भारत में कोई विरासत संपत्ति पर टैक्स नहीं देना होता है। भारत सरकार ने 1985 को इस तरह के टैक्स को समाप्त कर दिया था। देश में पहले संपत्ति कर अधिनियम 1953 के तहत मृत व्यक्ति की संपत्ति के मूल्य का 85 फीसदी तक उच्च संपत्ति कर का भुगतान करना पड़ता था।

    इनकम टैक्स अधिनियम 1961 के तहत वसीयत द्वारा प्राप्त संपत्ति की इनकम के तौर पर नहीं माना जाता है। अगर आप कोई संपत्ति अर्जित करते हैं तब वो आपके इनकम के तौर पर जोड़ी जाएगी। आपको उसपर टैक्स देना होगा। मान लीजिए कि अगर आपको एक किराए का घर विरासत में मिलता है तो आप कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में उस संपत्ति के मालिक बन जाते हैं। ऐसे में वो अब आपके इनकम में जोड़ा जाएगा और आपको लागू कर के दर पर टैक्स देना होगा।

    अगर आपको अपनी संपत्ति पर बैंक से कोई इंटरेस्ट मिलता है तो आपको उस पर टैक्स का भुगतान करना होगा। आपको जैसे ही कोई विरासत में मिली संपत्ति मिलती है वैसे ही आप उसे बेच सकते हैं।

    कैसे कैलकुलेट करें कैपिटल गेन टैक्स

    विरासत में मिली संपत्ति के मामले में जो मूल मालिक संपत्ति खरीदते हैं उस तारीख से शुरू होता है।अगर कोई संपत्ति दो साल से ज्यादा तक रखने के बाद बेची जाती है, तो बिक्री से आने वाली इनकम को पूंजीगत लाभ के रूप में माना जाता है। यदि संपत्ति 2 साल से कम समय के लिए रखी गई है, तो बिक्री से होने वाली इनकम को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ माना जाता है। इसके अनुसार ही टैक्स का भुगतान किया जाता है।