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    असली मालिक का पता न चलने पर भी कुर्क की जा सकती है बेनामी संपत्ति, कोर्ट का अहम फैसला

    Updated: Thu, 16 Jan 2025 04:04 PM (IST)

    आयकर विभाग की लखनऊ इकाई ने 2023 में लखनऊ के काकोरी क्षेत्र में 3.47 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की कई संपत्तियां कुर्क की। इन संपत्तियों को रियल एस्टेट समूहों द्वारा बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी का उपयोग करके खरीदा गया था जो बेनामी लेनदेन का एक सामान्य संकेत है जहां संपत्ति किसी और के नाम पर होती है लेकिन असली मालिक अलग होता है।

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    बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध (पीबीपीटी) अधिनियम 1988 (Photo - Jagran Graphics)

    पीटीआई, नई दिल्ली। आयकर विभाग बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध (पीबीपीटी) अधिनियम 1988 के तहत उस स्थिति में भी किसी संपत्ति को कुर्क कर सकता है, जबकि उस संपत्ति के वास्तविक मालिक की पहचान नहीं हुई हो। कानून में इस स्थिति से निपटने के लिए विशिष्ट प्रविधान हैं। बेनामी रोधी कानून से संबंधित न्यायाधिकरण ने यह बात कही।

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    आयकर विभाग की छापेमारी के बाद हुआ खुलासा

    पिछले साल 26 नवंबर को आयकर विभाग की लखनऊ इकाई द्वारा जारी भूमि संपत्ति कुर्की आदेश को न्यायाधिकरण ने बरकरार रखा। यह मामला तब सामने आया जब विभाग ने लखनऊ स्थित तीन रियल्टी समूहों के परिसरों पर छापे मारे। इन समूहों ने काकोरी क्षेत्र में बड़े भूखंड बेहिसाब नकदी से खरीदे थे।

    किसी भी लाभार्थी स्वामी का नाम नहीं

    लखनऊ स्थित बेनामी निषेध इकाई ( बीपीयू) ने अक्टूबर 2023 में काकोरी में 3.47 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की पांच भूमि कुर्क करने का आदेश जारी किया था। इस आदेश में एक बेनामीदार के अलावा दो कंपनियों और दो व्यक्तियों को हितधारक के रूप में नामित किया गया था। हालांकि, किसी भी लाभार्थी स्वामी का नाम नहीं था।

    आयकर विभाग द्वारा बेनामी संपत्ति की कुर्की

    आमतौर पर जब आयकर विभाग द्वारा बेनामी संपत्ति की कुर्की का आदेश जारी किया जाता है तो उसमें बेनामीदार और लाभार्थी स्वामी का नाम होता है, लेकिन इस मामले में न्यायाधिकरण ने आयकर कुर्की आदेश की आंशिक पुष्टि की है, जिसमें 3.47 करोड़ रुपये में से 3.10 करोड़ रुपये की संपत्ति शामिल है। इस मामले में एक्सेला नामक रियल एस्टेट कंपनी के ऑफिस ब्वाय रवि कुमार को बेनामीदार के रूप में पहचाना गया है।

    बेनामी संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई

    आयकर विभाग बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध (पीबीपीटी) का यह फैसला दर्शाता है कि कानून के तहत बेनामी संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आयकर विभाग के पास पर्याप्त अधिकार हैं, भले ही वास्तविक मालिक की पहचान न हो।