Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    खाद्य तेल का आयात 3 फीसदी घटा, क्या यही है महंगाई बढ़ने की वजह?

    Updated: Wed, 13 Nov 2024 07:10 PM (IST)

    साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने एक बयान में कहा कि मूल्य के लिहाज से आयात पिछले वर्ष के 138424 करोड़ रुपये से मामूली रूप से घटकर 2023-24 में 131967 करोड़ रुपये रह गया। कच्चे पाम तेल का आयात 2023-24 में घटकर 69.70 लाख टन रह गया जो पिछले वर्ष 75.88 लाख टन था जबकि आरबीडी पामोलिन का आयात 21.07 लाख टन से घटकर 19.31 लाख टन रह गया।

    Hero Image
    भारत में तिलहन का उत्पादन बढ़ा है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ समय से महंगाई लगातार बढ़ रही है। अक्टूबर में तो यह 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। महंगाई बढ़ाने में सबसे बड़ा हाथ खाद्य मुद्रास्फीति का रहा, खासकर सब्जियों और खाद्य तेलों के दाम का। 2023-24 के ऑयल मार्केटिंग ईयर (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान खाद्य तेलों के आयात में 3.09 फीसदी की कमी आई है और यह 159.6 लाख टन रह गया। पिछले तेल वर्ष में 164.7 लाख टन का आयात किया गया था। भारत खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्यों घटा खाद्य तेलों का आयात

    भारत में तिलहन का उत्पादन बढ़ा है। साथ ही, डिमांड में भी कमी आई है। इसके चलते ओवरऑल इम्पोर्ट घटा है। सरकार ने घरेलू किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए खाद्य तेलों पर आयात शुल्क भी बढ़ाया है। इसका भी कुछ असर आयात पर दिखा है। दरअसल, केंद्र सरकार ने सितंबर में कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेल पर लगने वाले आयात शुल्क 20 प्रतिशत बढ़ा दिया था।

    पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल पर सीमा शुल्क बढ़ाने का फैसला त्योहारी सीजन से ठीक पहले लिया था। इसका कुछ असर अक्टूबर में महंगाई के आंकड़े पर भी दिखा। उस वक्त अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ ने कहा था कि इस फैसले से किसानों को राहत मिलेगी और उनकी कमाई भी बढ़ेगी। लेकिन, आम जनता पर महंगाई की मार भी पड़ेगी। उससे पहले भी सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए सोयाबीन को समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्देश दिया था।

    कितना रहा खाद्य तेलों का आयात

    साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने एक बयान में कहा कि मूल्य के लिहाज से, आयात पिछले वर्ष के 1,38,424 करोड़ रुपये से मामूली रूप से घटकर 2023-24 में 1,31,967 करोड़ रुपये रह गया। आंकड़ों के अनुसार, कच्चे पाम तेल का आयात 2023-24 में घटकर 69.70 लाख टन रह गया, जो पिछले वर्ष 75.88 लाख टन था, जबकि आरबीडी पामोलिन का आयात 21.07 लाख टन से घटकर 19.31 लाख टन रह गया।

    सोयाबीन तेल का आयात 35.06 लाख टन से घटकर 34.41 लाख टन रह गया, जबकि सूरजमुखी तेल का आयात 30.01 लाख टन से बढ़कर 35.06 लाख टन हो गया। उद्योग संगठन ने कहा कि पिछले पांच सालों के दौरान रिफाइंड तेल की हिस्सेदारी तीन प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत हो गई जबकि कच्चे तेल की हिस्सेदारी 97 प्रतिशत से घटकर 88 प्रतिशत हो गई। उद्योग निकाय ने कहा कि 1 नवंबर तक विभिन्न बंदरगाहों पर 24.08 लाख टन खाद्य तेल का स्टॉक होने का अनुमान है।

    यह भी पढ़ें : Onion Price: कब सस्ता होगा प्याज, क्या कह रही सरकार?