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    IMF ने किया Corporate Tax में कटौती का समर्थन, निवेश बढ़ाने के लिए बताया बढ़िया कदम

    By Pawan JayaswalEdited By:
    Updated: Sat, 19 Oct 2019 12:43 PM (IST)

    International Monetary Fund ने शुक्रवार को भारत द्वारा हाल ही में की गई कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का समर्थन किया है IMF ने अर्थव्यवस्था के 6.1 फीसद की दर से ग्रो करने की उम्मीद जताई

    IMF ने किया Corporate Tax में कटौती का समर्थन, निवेश बढ़ाने के लिए बताया बढ़िया कदम

    वॉशिंगटन, पीटीआइ। इंटरनेशनल मोनेटरी फंड यानी आईएमएफ ने भारत द्वारा की गई कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का समर्थन किया है। आईएमएफ (IMF) ने कहा है कि भारत के इस कदम से निवेश पर सकारात्मक प्रभाव पडे़गा। हालांकि, इसके साथ ही आईएमएफ ने कहा कि भारत को राजस्व समकेन पर ध्यान देना चाहिए और राजस्व की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिए।

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    आईएमएफ में एशिया एंड पेसिफिक विभाग के निदेशक Changyong Rhee ने वॉशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिपोर्टर्स से कहा, 'हम मानते हैं कि भारत के पास सीमित राजस्व है, इसलिए उन्हें सावचेत रहने की आवश्यकता है। हम कॉरपोरेट टैक्स कटौती के उनके फैसले का समर्थन करते हैं, क्योंकि इससे निवेश पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।'

    उन्होंने कहा, 'भारत में पिछली दो तिमाही में दर्ज की गई सुस्ती को देखते हुए, अर्थव्यवस्था के इस वित्त वर्ष में 6.1 फीसद की दर से ग्रो करने की उम्मीद है। वहीं, यह 2020 में 7.0 फीसद तक जा सकती है।'

    आईएमएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से भी कहा गया है कि मोनेटरी पॉलिसी का प्रोत्साहन और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा से निवेश में तेजी आने की उम्मीद है। उधर आईएमएफ के एशिया और पेसिफिक विभाग की डिप्टी डायरेक्टर Anne-Marie Gulde-Wolf का कहना है कि भारत को अपने गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए।

    उन्होंने कहा, 'वहां हाल ही में कई सुधार हुए हैं, जिनका फायदा अभी आना बाकी है, इनमें सरकारी बैंकों का रि-कैपिटलाइजेशन भी शामिल है।' उन्होंने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जागरुक है। साथ ही एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत में कर्ज इस समय उच्च स्तर पर है और राजस्व समेकन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

    उन्होंने कहा, 'हालांकि, फेडरल सिस्टम के संदर्भ में साजस्व समेकन पर काम बहुत पेचीदा है। विभिन्न राज्यों में राजस्व ढांचे के मुद्दे और चुनौतियां भिन्न-भिन्न हैं।'