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    पाकिस्तान के लिए IMF ने खोला खजाना; तारीफ में पढ़े कसीदे, लेकिन चेतावनी भी दी

    Updated: Thu, 26 Sep 2024 06:58 PM (IST)

    पाकिस्तान फिलहाल गले तक कर्ज में डूबा है। उसकी आर्थिक स्थिति बदहाल है। वह बेलआउट पैकेज के लिए लगातार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिन्नतें कर रहा था। IMF ने पाकिस्तान के लिए 7 अरब डॉलर का नया कर्ज मंजूर कर दिया है। यह कर्ज पाकिस्तान को 37 महीनों में किस्तों में मिलेगा। इसका मकसद पाकिस्तान की जर्जर अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने में मदद करना है।

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    IMF ने कहा कि पाकिस्तान का टैक्स बेस भी काफी छोटा बना हुआ है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के लिए सात अरब डॉलर के नए बेलआउट पैकेज को स्वीकृति दे दी है। नकदी संकट से जूझ रहे देश को आर्थिक संकट से निपटने के लिए 1.1 अरब डॉलर से कम की पहली ऋण किस्त को तत्काल जारी करने की अनुमति मिल गई है।

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    आईएमएफ बोर्ड की बुधवार को वॉशिंगटन में हुई बैठक में पाकिस्तान के साथ कर्मचारी स्तरीय समझौते को मंजूरी दी गई। इससे पहले पाकिस्तान ने अपने कृषि आयकर में सुधार करने, कुछ वित्तीय जिम्मेदारियों को प्रांतों को हस्तांतरित करने और सब्सिडी को सीमित करने का वादा किया था।

    पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने पुष्टि की कि आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने 37 महीने की विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) को मंजूरी दे दी है, जिसकी कुल राशि सात अरब डॉलर है। यह 1958 के बाद से पाकिस्तान को मिला 25वां आईएमएफ कार्यक्रम और छठा ईएफएफ है।

    IMF ने की पाकिस्तान की तारीफ

    IMF ने गुरुवार को जारी एक बयान में पाकिस्तान की तारीफ भी की है कि उसने आर्थिक बेहतरी के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जिसने विकास में तेजी आई है। साथ ही, महंगाई से जनता को राहत मिली है और वह सिंगल डिजिट में आ गई है। विदेशी मुद्रा बाजार में शांति है, इससे पाकिस्तान को रिजर्व भंडार को दोबारा भरने में मदद मिली।

    हालांकि, IMF ने कुछ पहलुओं पर चिंता भी जताई। उसने चेतावनी दी कि पाकिस्तान भले ही तरक्की की राह पर बढ़ने लगा है, लेकिन उसकी कुछ संरचनात्मक चुनौतियां बनी हुई हैं। जैसे कि कारोबारी माहौल का मुश्किल है। कमजोर सरकार की वजह से निवेश में बाधा आ रही है।

    IMF ने कहा कि सरकारी अधिकारी भी अड़ंगा लगाकर काम खराब रहे हैं। वहीं टैक्स बेस भी काफी छोटा बना हुआ है। साथ ही, सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी पर्याप्त खर्च नहीं कर रही।

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