IL&FS मामले में दोषी अधिकारियों पर सेबी कसने जा रही शिकंजा
कर्जे में डूबे इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (ILFS) ग्रुप मामले में Sebi अब शिकंजा कसने के मूड में आ गया है। ...और पढ़ें

नई दिल्ली (बिजनेेस डेस्क)। कर्जे में डूबे इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आइएलएंडएफएस) ग्रुप मामले में सेबी अब शिकंजा कसने के मूड में आ गया है। पूंजी बाजार नियामक दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करना चाहता है। इस मामले में सेबी की नजर अब व्यक्तियों और इकाइयों के एक बड़े वर्ग पर है। इनमें ग्रुप की कई कंपनियों और कई के स्वतंत्र निदेशकों, पूर्व शीर्ष प्रबंधन, रेटिंग एजेंसियां और उनके ऑडिटर्स तक शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इन पर जल्द कार्रवाई शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि आइएलएंडएफएस मामले में सेबी कई इकाइयों और व्यक्तियों की भूमिका की गहरी पड़ताल में जुटा है। सेबी को इन पर डिस्क्लोजर और कॉरपोरेट गवर्नेस मानकों के उल्लंघन का शक है। अधिकारी के मुताबिक शक के दायरे में आए अधिकारियों और कंपनियों पर आंशिक शेयरधारकों के हितों के साथ खिलवाड़ करने के आरोप में जल्द कठोर कार्रवाई की जाएगी। इन्होंने आइएलएंडएफएस के आंशिक शेयरधारकों को ही नहीं, बल्कि अपनी गतिविधियों से शेयर बाजारों को नुकसान पहुंचाया है।
अधिकारी के मुताबिक सेबी उन सूचीबद्ध कंपनियों की भी पहचान में जुटा है, जो पिछला कर्ज चुकाने में विफल रहे थे, लेकिन उन्हें बार-बार ताजा कर्ज दिया जाता रहा। पिछले वर्ष जब आइएलएंडएफएस का मामला सामने आया था, उसके तुरंत बाद सेबी ने अपनी जांच शुरू कर दी थी। आइएलएंडएफएस ग्रुप और उसकी सहायक कंपनियों पर 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी है और उसकी कई कंपनियां एक के बाद एक अपनी देनदारियों के भुगतान में विफल रही हैं।
मामला सामने आने और उसमें आइएलएंडएफएस ग्रुप के पूर्व प्रबंधन की भूमिका पर शक के बाद सरकार ने ग्रुप के निदेशक बोर्ड को निलंबित कर दिया। उसके बाद सरकार ने शीर्ष बैंकर उदय कोटक की अध्यक्षता में आइएलएंडएफएस के लिए एक नए निदेशक बोर्ड का गठन किया। यह बोर्ड पूर्व प्रबंधन की धोखाधड़ी की वजह से हुए नुकसान की वसूली और ग्रुप व उसकी सहायक कंपनियों को पटरी पर लाने में जुटा है।
गौरतलब है कि सेबी और गंभीर अपराध जांच कार्यालय (एसएफआइओ) की जांच में यह सामने आया है कि आइएलएंडएफएस ग्रुप की कई कंपनियां घपले में संलिप्त रही हैं। इनमें से कुछ ने कई कर्जदारों को पहले का कर्ज चुकाए बिना नए कर्ज की स्वीकृति दी। इन कंपनियों का शीर्ष प्रबंधन भी किसी न किसी तरह इन घपलों में शामिल था। रेटिंग एजेंसियों ने भी ग्रुप की कई कंपनियों की रेटिंग बढ़ा-चढ़ाकर पेश की और उसके बदले एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों को कई तरह से उपकृत किया गया। इतना ही नहीं, कई कर्जदारों को तो देर से कर्ज चुकाने तक के लिए कहा गया। बाद में जब उन्होंने कर्ज नहीं चुकाए, तो उनके लोन को फंसे कर्ज (एनपीए) में डाल दिया गया। इस तरह आइएलएंडएफएस का एनपीए लगातार बढ़ता गया।

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