हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में नई पहल, IHCL ने लॉन्च किया ‘पथ्य’, जानें आखिर यह है क्या
इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) एक नए फ्रेमवर्क की घोषणा की है जिसे ‘पथ्य’ नाम दिया गया है। इसके तहत कंपनी ने सस्टेनेबिलिटी और सोशल इंपोक्ट से जुड़े उपायों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं जिन्हें 2030 तक पूरा किया जाना है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत की सबसे बड़ी हॉस्पिटैलिटी कंपनी इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) ने सस्टेनेबिलिटी और सोशल इंपोक्ट से जुड़े उपायों को आगे बढ़ाने के लिए एक नए फ्रेमवर्क का ऐलान किया। इसे ‘पथ्य’ का नाम दिया गया है। ‘पथ्य’ के तहत कंपनी ने अपने लिए कई लक्ष्य तय किए हैं, जो पर्यावरणीय प्रबंधन, सामाजिक जिम्मेदारी, गर्वनेंस एक्सीलेंस, विरासत का संरक्षण, मूल्य श्रृंखला रूपांतरण और लगातार वृद्धि पर ध्यान केन्द्रित करने से संबंधित हैं।
IHCL द्वारा जो अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, उन्हें 2030 तक पूरा किया जाना है। कंपनी के अनुसार, इस दौरान वह अपने सभी होटलों में सिंगल-यूज़ प्लास्टिक के इस्तेमाल को पूरी तरह खत्म करने से लेकर गंदे पानी के 100 प्रतिशत पुनः उपयोग को सुनिश्चित करने तक, कई कदम उठाएगी। इसके साथ ही कंपनी के सभी होटलों को ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी स्टैंडर्ड से प्रमाणित कराया जाएगा।
IHCL के अनुसार, उसके 78 आईएचसीएल होटलों को अर्थचैक प्रमाणन हासिल हो चुका है, जिनमें से 47 को प्लेटिनम का दर्जा दिया गया है। कंपनी ने कहा कि वैश्विक पर्यटन उद्योग में यह सबसे बड़ी उपलब्धि है। कंपनी ने कहा कि ‘इनरजाइज़-ग्रीन मीटिंग्स’ के अनुसार सभी व्यापारिक बैठकें और सम्मेलन पर्यावरण के अनुकूल होंगे, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव को घटाने में मदद मिलेगी।
कंपनी की तरफ से कहा गया कि वह योग्य और हाशिए पर मौजूद लोगों के कौशल निर्माण तथा उन्हें रोजगार के लिए सक्षम बनाने की प्रतिबद्धता पर कायम है। आईएचसीएल का लक्ष्य 1,00,000 युवाओं की आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव डालना है। इसके अलावा यूनेस्को के साथ साझेदारी से आईएचसीएल अपने सभी कार्यक्षेत्रों में इंटेन्जीबल कल्चरल हैरिटेज (आईएचसी) परियोजनाओं को पूरी तरह से अपनाएगी।
आईएचसीएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी पुनीत छटवाल ने कहा, "आज नए कल की राह तैयार करना पहले से कहीं अधिक महत्व का है। पथ्य का लॉन्च आईएचसीएल की प्रतिबद्धता के मुताबिक है। यह हमारे संस्थापक जमशेदजी टाटा के विजन को फिर से दोहराता है कि व्यापार के हृदय में समाज को रखते हुए काम करना चाहिए।’’
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