अमेरिका के पास Apple-Mircrosoft-Tesla तो रूस के पास क्या? जानें भारत के 'सच्चे दोस्त' के पास कौन-कौन सी 10 बड़ी कंपनियां
अमेरिका के टैरिफ वॉर के बीच भारत और रूस की दोस्ती मजबूत हुई है। रूस भारत को सस्ती दरों पर तेल देने और रक्षा सहयोग बढ़ाने का वादा कर रहा है। रूस की सबसे वैल्यूएबल कंपनी गैजप्रॉम है जिसका मार्केट कैप $64 बिलियन है। अन्य बड़ी कंपनियों में रोसनेफ्ट ऑयल स्बरबैंक ऑफ रूस लुकोइल और नोवाटेक शामिल हैं। गैजप्रॉम रूस की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली। अमेरिका के टैरिफ वॉर के बीच भारत और रूस की दोस्ती एक बार फिर मजबूती के साथ सामने आई है। जहां एक ओर ट्रंप प्रशासन भारत को टैरिफ बम से धमका रहा है, वहीं रूस न केवल भारत को सस्ती दरों पर तेल देने का वादा कर रहा है बल्कि रक्षा सहयोग में भी कदम बढ़ा रहा है। ऐसे माहौल में यह जानना दिलचस्प है कि आखिर किन बड़ी कंपनियों के दम पर रूस दुनिया की अर्थव्यवस्था (India-Russia economic ties) और भू-राजनीति में मजबूत खिलाड़ी बना हुआ है।
रूस की टॉप कंपनियां कौन है सबसे बड़ी?
रूस की सबसे वैल्यूएबल कंपनी गैजप्रॉम (Gazprom PJSC) है, जिसका मार्केट कैप $64 बिलियन है। गैजप्रॉम रूस की सबसे बड़ी (Russia large companies) और रणनीतिक कंपनी मानी जाती है, जो यूरोप को नेचुरल गैस बेचकर भारी राजस्व अर्जित करती है।
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गैजप्रॉम के बाद दूसरे स्थान पर है रोसनेफ्ट ऑयल (Rosneft Oil), जिसका मार्केट कैप $49 बिलियन है। यह सरकारी तेल (Russian industry heavyweights) कंपनी है, जो चीन समेत कई देशों में अपने कारोबार का विस्तार कर रही है।
तीसरे स्थान पर आती है स्बरबैंक ऑफ रूस (Sberbank of Russia), जिसका मार्केट कैप $34 बिलियन है। यह रूस का सबसे बड़ा बैंक है, जिसके करोड़ों रिटेल और कॉर्पोरेट ग्राहक हैं।
इसके अलावा, रूस की टॉप कंपनियों में लुकोइल (Lukoil OAO) और नोवाटेक (Novatek OAO) भी शामिल हैं। लुकोइल दुनिया की सबसे बड़ी वर्टिकली इंटीग्रेटेड ऑयल एंड गैस कंपनियों में से एक है, जबकि नोवाटेक रूस की दूसरी सबसे बड़ी नेचुरल गैस उत्पादक कंपनी है।
क्यों अहम है गैजप्रॉम?
गैजप्रॉम का रूस की अर्थव्यवस्था में वही स्थान है जो अमेरिका में Apple या Microsoft का है। यह कंपनी न केवल घरेलू ऊर्जा जरूरतों को सस्ती दरों पर पूरा करती है, बल्कि यूरोप और एशिया को गैस सप्लाई करके रूस की राजनीतिक पकड़ को भी मजबूत बनाती है।
SOURCE: Forbes
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