ICRA Outlook: इस वर्ष GDP ग्रोथ 6.2% रहने का अनुमान, महंगाई 3.5% से ऊपर रहेगी
ICRA Outlook रेटिंग एजेंसी इक्रा ने 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी का नया आउटलुक जारी किया है। इसमें उसने विकास दर 6.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है। साथ ही उसने वे तीन कारण भी बताए हैं जिनकी वजह से अर्थव्यवस्था में मांग में तेजी बनी रहेगी। जानिए क्या हैं वे कारण

नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने भारत की अर्थव्यवस्था पर नया आउटलुक जारी किया है। इसमें उसने अनुमान लगाया है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की GDP विकास दर (India GDP growth) 6.2 प्रतिशत रहेगी। इसने ग्रास वैल्यू एडेड यानी GVA ग्रोथ 6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसी महीने जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। वैश्विक बैंकिंग समूह एचएसबीसी ने एक दिन पहले कैलेंडर वर्ष 2025 में भारत की विकास दर 6.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई थी।
महंगाई और राजकोषीय घाटे का अनुमान
महंगाई के बारे में इक्रा का अनुमान है कि खुदरा महंगाई पूरे वित्त वर्ष के दौरान औसतन 3.5% से ऊपर रहेगी। थोक महंगाई 1.8 प्रतिशत से ऊपर रहने का अनुमान है। रेटिंग एजेंसी ने राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। चालू खाते का घाटा 1.2 से 1.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इस साल के बजट में भी राजकोषीय घाटा 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।
विकास दर अच्छी रहने के तीन कारण
इक्रा के अनुसार रबी की अच्छी फसल और जलाशयों में सामान्य से अधिक जलस्तर होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र की मांग मजबूत बनी रहेगी। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए केंद्रीय बजट में आयकर में बड़ी राहत (tax relief impact) दी गई है, ब्याज दरें कम होने (loan rate reduction) से कर्ज पर ईएमआई घटी है, इसके अलावा खाद्य महंगाई भी कम है। इन सब का मिला-जुला असर यह होगा कि लोगों की डिस्पोजेबल आय बढ़ जाएगी।
वस्तु निर्यात में कमजोरी अभी बनी रहेगी
घरेलू मांग में तो वृद्धि का अनुमान है लेकिन वैश्विक स्तर पर उम्मीदें वैसी नहीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मर्केंडाइज निर्यात में जो कमजोरी दिख रही है वह निकट भविष्य में जारी रहेगी। सर्विसेज का निर्यात मर्केंडाइज निर्यात की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार का पूंजीगत खर्च इस वर्ष 10.1 प्रतिशत अधिक रहेगा। इससे निवेश गतिविधियों को गति मिलेगी। हालांकि ट्रेड पॉलिसी को लेकर अनिश्चितता और निर्यात मांग में ज्यादा वृद्धि नहीं होने का असर निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च पर दिख सकता है।
शेयर बाजार पर एचएसबीसी की राय
HSBC ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय शेयर और बांड बाजार का भी आकलन किया है। बैंक ने कहा है कि निवेशकों को इस वर्ष बाजारों में अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। एचएसबीसी के मुख्य निवेश अधिकारी जेम्स चियो ने निवेशकों को सलाह दी कि वे ऐसा पोर्टफोलियो विकसित करें, जो राजनीतिक और बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति मजबूत हों। बैंक ने निवेशकों के लिए 2025 की तीसरी तिमाही में चार प्राथमिकताएं तय की हैं। इसमें विविध इक्विटी निवेश, एआइ अपनाने के अवसर, मुद्रा जोखिमों में कमी और एशिया के घरेलू विकास का लाभ उठाना शामिल हैं।


कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।