Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आइसीएआर किसानों के लिए है, कंपनियों के फायदे के लिए नहीं; बायोस्टिमुलेंट के बढ़ते इस्तेमाल से अधिकारियों पर भड़के शिवराज

    Updated: Tue, 15 Jul 2025 08:20 PM (IST)

    कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बायोस्टिमुलेंट के बढ़ते इस्तेमाल पर अधिकारियों को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि आइसीएआर किसानों के लिए है कंपनियों के फायदे के लिए नहीं। शिवराज ने बायोस्टिमुलेंट की अनियंत्रित बिक्री पर समीक्षा बैठक की और आइसीएआर को वैज्ञानिक जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

    Hero Image
    बिना वैज्ञानिक प्रमाण के लिए कंपनियां बेच रहीं बायोस्टिमुलेंट

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज ¨सह चौहान का मानना है कि बायोस्टिमुलेंट के इस्तेमाल से किसानों को फायदा नहीं हो रहा है। फिर भी संबंधित कंपनियों को साल दर साल इसे बेचने की अनुमति मिल जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने अधिकारियों की निष्ठा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या हमारे पास ऐसी कोई रिपोर्ट है, जिससे सिद्ध हो सके कि इसके प्रयोग से उत्पादन में वृद्धि हो रही है! उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) किसानों के लिए है, कंपनियों के लिए नहीं। शिवराज कृषि अधिकारियों के साथ बायोस्टिमुलेंट की अनियंत्रित बिक्री को लेकर समीक्षा बैठक कर रहे थे।

    उन्होंने आइसीएआर को वैज्ञानिक जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश देते हुए कहा कि किसानों के साथ छलावा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने साफ-साफ चेताया कि अधिकारियों को तय करना होगा कि वे किसानों के साथ हैं या कंपनियों के साथ। अब तमाशा नहीं चलेगा।

    दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से बायोस्टिमुलेंट को जैविक वृद्धि प्रोत्साहक के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, जिससे कृषि बाजार में इसका बड़ा विस्तार हुआ है। दावा किया जाता है कि इससे पौधों की गुणवत्ता और उपज में सुधार होता है, लेकिन सच्चाई कुछ और है।

    कृषि मंत्री ने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान कई गांवों के किसान उनसे सीधे मिले और नकली खाद, बीज, नैनो यूरिया और बायोस्टिमुलेंट को लेकर शिकायतें कीं। पहले से भी इन उत्पादों के निष्प्रभावी होने की शिकायतें मिल रही हैं। इसी फीडबैक ने उन्हें समीक्षा के लिए प्रेरित किया।

    उन्होंने कहा कि कुछ बेईमान गड़बडि़यां कर रहे हैं, जिनसे किसानों को बचाना मेरी जवाबदारी है। शिवराज ने पूछा कि बायोस्टिमुलेंट का इतिहास क्या है। कब शुरू हुआ। पंजीकृत उत्पादों में कितने सत्यापित हैं, कितने लंबित। बिक्री को कैसे नियंत्रित किया जा रहा है। सैंप¨लग-टे¨स्टग की व्यवस्था क्या है। गड़बड़ होने पर कार्रवाई का क्या प्रविधान है।

    बिना वैज्ञानिक प्रमाण के लिए कंपनियां बेच रहीं बायोस्टिमुलेंट

    शिवराज ने कहा कि वर्षों से हजारों कंपनियां बिना वैज्ञानिक प्रमाण या फील्ड ट्रायल के बायोस्टिमुलेंट बेच रही हैं। पहले 30 हजार से अधिक उत्पादों को बाजार में अनुमति मिली हुई थी, मगर सख्ती के बाद अब 650 बचे हैं। इससे स्पष्ट है कि कंपनियों को अनुमति देने की प्रक्रिया में किसानों के हित की अनदेखी की गई है।

    कृषि मंत्री ने बायोस्टिमुलेंट की बिक्री पर व्यापक विमर्श की जरूरत बताई और आइसीएआर से कहा कि वह हर उत्पाद का वैज्ञानिक परीक्षण कर उसकी उपयोगिता सिद्ध करे। उन्होंने निर्देश दिया कि बिना प्रमाणिकता के कोई भी बायोस्टिमुलेंट बाजार में न आए।

    साथ ही इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एक एसओपी तैयार किया जाए। अब उन्हीं बायोस्टिमुलेंट को अनुमति दी जाएगी, जो मापदंडों पर पूरी तरह खरे होंगे और इसकी जवाबदारी संबंधित अधिकारियों की होगी। इसलिए अनुमति देते समय वे किसानों की सूरत को ध्यान में रखें।